Manuscript Number : SHISRRJ192653
मनोवैज्ञानिक उपन्यास और उसकी परम्परा
Authors(1) :-कमलेन्द्र चक्रपाणि स्वातंत्र्योत्तर काल के उपन्यासों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मनोविज्ञान के तत्त्व मौजूद रहते ही हैं। यह दौर विविधताओं का दौर था जिसमें भारतीय जीवन के बदलते परिवेष, जनता की निर्माणात्मक चेतना, सामाजिक संघर्ष, व्यक्ति तथा परिवार के विभिन्न सम्बंध-विषेष तथा तनाव, परम्परा और रुढ़िवाद के प्रति विद्रोह, आधुनिकता का आकर्षण, विभिन्न प्रकार के स्त्री-पुरुष सम्बंध, तनाव भरे माहौल में पलते हुए बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थितियाँ आदि विषमताएँ थीं और इन्हीं विषयों को केंद्र में रखकर उपन्यासकारों ने अपने चरित्रों को उभारना प्रारंभ किया। इस शंृखला में सुरेन्द्र वर्मा, मोहन राकेष, राजेन्द्र यादव, विनोद कुमार षुक्ल आदि के नाम उल्लेखनीय हैं
कमलेन्द्र चक्रपाणि मनोवैज्ञानिक,उपन्यास, परम्परा,चेतना, सामाजिक,परिवार,मनोविज्ञान,आधुनिकता। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
एम.ए., नेट, पी-एच.डी., भारत।
Date of Publication : 2019-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 104-109
Manuscript Number : SHISRRJ192653
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192653