रामायण का सांस्कृतिक मूल्यांकन

Authors(1) :-डॉ॰ संजय कुमार

महर्षि वाल्मीकि प्रणीत ‘रामायण' भारतवर्ष का ऐतिहासिक सांस्कृतिक आदि महाकाव्य है। यह आर्य संस्कृति एवं मानवता का महान उद्घोषक के साथ ही प्रेम, दया, करूणा, अहिंसा, तप, त्याग एवं राष्ट्र निर्माण का आधार स्तम्भ है। चरित्र निर्माण एवं सलिल संस्कृति का संरक्षक है।

Authors and Affiliations

डॉ॰ संजय कुमार
ग्राम -अकबरपुर, जिला – नवादा, बिहार (भारत)

ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, उद्घोषक, अहिंसा, स्तम्भ ।

  1. सुभाषित पद्धति, शार
  2. वा॰ रा॰, बा॰ का॰, द्वि॰ स॰ श्लोक – 361/2 371/2 ,
  3. डा॰ नागेन्द्र उपाध्याय कृत-वाल्मीकीय रामायण में हनुमच्चरित्र के विभिन्न आयाम
  4. डा॰ नागेन्द्र उपाध्याय कृत-वाल्मीकीय रामायण में हनुमच्चरित्र के विभिन्न आयाम
  5. रामायण का सांस्कृतिक महत्त्व पृ॰-3
  6. वा॰ रा॰ पारायण विधि
  7. संस्कृत साहित्य का इतिहास, उमाशंकर शर्मा ‘ऋषि’-पृ॰-137
  8. वा॰ रा॰ बा॰ का॰ 18/26-27
  9. रामचरित मानस, अयो॰ का॰ दो॰-199/3
  10. वा॰ रा॰, बाल का॰ 15/8, 9
  11. रा च मा, बा का 181/5-6

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 122-125
Manuscript Number : SHISRRJ192657
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ॰ संजय कुमार, "रामायण का सांस्कृतिक मूल्यांकन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.122-125, November-December.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192657

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