Manuscript Number : SHISRRJ192679
राजनीतिक विचारधारा: वैदिक काल से गुप्त काल तक एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ0 रविन्द्र कुमार भारत का अतीत बड़ा गौरवमय रहा है। आर्यों का यह देश वैदिक काल से गुप्त काल तक आर्य सभ्यता का अक्षुण्ण गढ़ बना रहा। इस अवधि के विभिन्न ग्रन्थ, मुद्राएँ, शिलालेख, ताम्रपत्र आदि के शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि प्राचीन भारत में उच्च विकसित सभ्यता विद्यमान थी। आध्यात्मिक, नैतिक, दर्शन आदि क्षेत्र की वैचारिक पराकाष्ठा के साथ भारत की शासन-संस्थाओं एवं राजनीतिक सिद्धांत उस समय उत्कृष्टतम रूप में विकसित थे। प्राचीन भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विकसित थे। प्राचीन भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विभिन्न समयों में अलग-अलग भाँति का शासन कायम रहा एवं विकसित भी होता रहा। सिकन्दर के समय आये ग्रीक लेखकों ने अपने ग्रन्थों में भारत के अनेक जनपदों का उल्लेख किया है। उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि यूनान के स्पाटज्र्ञ एवं मेसिडोनिया के समान ही भारत में अनेक गणराज्य विद्यमान हैं। पाणिनी ने अपने ‘अष्टाध्यायी’ में आयुधजीवी संघ (स्पार्टा) के समान) तथा अन्य जनपदों का उल्लेख किया है। इस तरह का विशद वर्णन संहिताओं (वेद), उपनिषद, अरण्यक, पुराण, महाकाव्य (रामायण एवं महाभारत), शुक्रनीति सार, बौद्ध एवं जैन साहित्य कौटिलीय अर्थशास्त्र, संस्कृत नाटक एवं लेख, विदेशी लेख, यात्रा विवरण में उपलब्ध है।
डाॅ0 रविन्द्र कुमार Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
एम. ए., पीएच.डी. (राजनीति विज्ञान) बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर।
Date of Publication : 2019-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 178-181
Manuscript Number : SHISRRJ192679
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192679