Manuscript Number : SHISRRJ192688
संगीत शिक्षा के विविध आयाम
Authors(1) :-डाॅ0 रोमा अरोरा संगीत शिक्षा, गुरू-शिष्य परम्परा के माध्यम से मौखिक रूप से, प्राचीन काल से ही चली आ रही है। संगीत गुरूमुखी विद्या है। प्राचीनकाल में संगीत शिक्षण पद्धति मन्दिरों में, दरबारों में सीना-बसीना तालीम के माध्यम से होती थी। अपनी मौलिक विचारधारा, रीति, शैली आदि के अनुरूप शिक्षण-पद्धति क्रमशः सम्प्रदाय, मत (मठ), प्रबन्धमान के अन्तर्गत बानो, तदन्तर घरानों के रूप में विकसित हुई। शालेय शिक्षण का प्रचलन प्राचीन एवं मध्ययुग में भी यत्र-तत्र देखने को मिलता है। वर्तमान समय संस्थागत संगीत शिक्षण का है जिसके कारण ही आज संगीत घर-घर में गूँज रहा है।
डाॅ0 रोमा अरोरा आयाम, शालेय शिक्षण, प्रबन्ध ज्ञान, वाग्गेयकार, कलावन्त, घराना। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर-संगीत गायन, राजा मोहन गल्र्स पी0जी0 कालेज, अयोध्या,उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2018-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 196-199
Manuscript Number : SHISRRJ192688
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192688