संगीत शिक्षा के विविध आयाम

Authors(1) :-डाॅ0 रोमा अरोरा

संगीत शिक्षा, गुरू-शिष्य परम्परा के माध्यम से मौखिक रूप से, प्राचीन काल से ही चली आ रही है। संगीत गुरूमुखी विद्या है। प्राचीनकाल में संगीत शिक्षण पद्धति मन्दिरों में, दरबारों में सीना-बसीना तालीम के माध्यम से होती थी। अपनी मौलिक विचारधारा, रीति, शैली आदि के अनुरूप शिक्षण-पद्धति क्रमशः सम्प्रदाय, मत (मठ), प्रबन्धमान के अन्तर्गत बानो, तदन्तर घरानों के रूप में विकसित हुई। शालेय शिक्षण का प्रचलन प्राचीन एवं मध्ययुग में भी यत्र-तत्र देखने को मिलता है। वर्तमान समय संस्थागत संगीत शिक्षण का है जिसके कारण ही आज संगीत घर-घर में गूँज रहा है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 रोमा अरोरा
एसोसिएट प्रोफेसर-संगीत गायन, राजा मोहन गल्र्स पी0जी0 कालेज, अयोध्या,उत्तर प्रदेश, भारत।

आयाम, शालेय शिक्षण, प्रबन्ध ज्ञान, वाग्गेयकार, कलावन्त, घराना।

  1. अमरेश चैबे, संगीत की संस्थागत शिक्षा प्रणाली, पृ. 07
  2. राम अवतार बीर, भारतीय संगीत, द्वितीय भाग, पृ. 155
  3. राम अवतार वीर, भारतीय संगीत, द्वितीय भाग, पृ. 157
  4. राम अवतार वीर, भारतीय संगीत, द्वितीय भाग, पृ. 159
  5. डाॅ. आबान ए. मिस्त्री, पखावज और तबला के घराने और परम्परायें, पृ. 01

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 4 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 196-199
Manuscript Number : SHISRRJ192688
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 रोमा अरोरा, "संगीत शिक्षा के विविध आयाम ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 4, pp.196-199, November-December.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192688

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