Manuscript Number : SHISRRJ19269
वेदों में प्रतिपादित कुटुम्ब की अवधारणा
Authors(1) :-डॉ. दिवाकर मणि त्रिपाठी वैदिक साहित्य का पर्यालोचन करने के पश्चात् यह अनुभव होता है तत्कालीन समाज में जहाँ पुरुष को कुटुम्ब का नेता माना जाता था वहीं नारी को भी सम्मानीय स्थान प्राप्त था। उसके बिना किसी प्रकार की भी धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न नहीं हो सकती थी। पुत्री को पुत्र के समय अधिकार प्राप्त थे। वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकती थी। अतः इसीलिए वैदिक परिवार समुन्नत एवं सुखी दिखाई देता है।
डॉ. दिवाकर मणि त्रिपाठी वैदिक साहित्य, वेद, कुटुम्ब, मनुष्य, मौलिक, पारिवारिक। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत, वी. यस. ऐ वी पी.जी कालेज, गोला, गोरखपुर, भारत
Date of Publication : 2019-12-30
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Page(s) : 47-49
Manuscript Number : SHISRRJ19269
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ19269