Manuscript Number : SHISRRJ193324
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अथर्ववेदीय शिक्षा सिद्धान्तों की उपयोगिता
Authors(1) :-डॉ॰ संजीव कुमार अथर्ववेदीय शिक्षा में नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास, प्रजातान्त्रिक मूल्य एवं सामाजिक उन्नति के बहुविध संकेतों का पूर्ण ही प्रदर्शन किया जा चुका है। राष्ट्रीय एकता के लिए-ब्रहचर्येण तपसा राज राष्ट्र विरक्षति इत्यादि मन्त्र द्रष्टव्य है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व में अथर्ववेदीय शिक्षा सिद्धान्तों के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। अथर्ववेदीय शिक्षा ही मानवीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकती है। अथर्ववेदीय शिक्षा-बेरोजगारी, व्यवसाय, जनसंख्या, व्याधि, अनैतिकता, इत्यादि सभी समस्याओं का समाधान करके मानव को सुख शांति एवं समृद्धि के सर्वोच्च शिखर पर आसीन कर सकती है।
डॉ॰ संजीव कुमार अथर्ववेदीय, शिक्षा, नैतिक, आध्यात्मिक, राष्ट्रीय, शिक्षा-बेरोजगारी, व्यवसाय, जनसंख्या, व्याधि, अनैतिकता। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
प्रवक्ता (हिन्दी) , शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार
Date of Publication : 2019-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 260-269
Manuscript Number : SHISRRJ193324
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193324