मगध क्षेत्र में लोकनृत्य की परम्परा

Authors(1) :-डाॅ0 विजय कुमार सिंह

मगध भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास का प्रमुख स्तम्भ के रूप में माना जाता है। मगध प्राचीन काल से ही राजनीतिक उत्थान, पतन, समाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक जागृति का केन्द्र बिन्दु रहा है। मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना, गया, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल जिले इसमें शामिल थे। मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अर्थववेद में मिलता हैं। मगध महाजनपद में शांति और अहिंसा का उपदेश देने वाले दो धर्मों का उदय हुआ जिसे बौद्ध धर्म और जैन धर्म के नाम से जाना जाता है। दोनों धर्मों में उस समय के प्रचलित लोक संगीत के द्वारा धर्मों का प्रचार-प्रसार करने में सहयोग लिया जाता था। किसी भी देश और राज्य के उत्थान के लिए संस्कृति का मूल तत्व होना आवश्यक है। बिहार में शास्त्रीय संगीत, उप-शास्त्रीय संगीत, लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोकनाट्य, लोकगाथा एवं फिल्मसंगीत इत्यादि कलाओं का विकास निरंतर प्रवाहित हो रही है। बिहार के मगध क्षेत्र में ध्रुपद, धमार, ख्याल, ठुमरी, दादरा एवं अन्य गायन शैलियों के अलावा लोकनृत्य, लोकगीत एवं लोकगाथा की परम्परा विकसित हुई। मगध क्षेत्र में जट-जटिन, खेलड़िन, नेटुया, बखो-बखोइन, जितिया नृत्य आदि लोकनृत्य मगध की गौरवशाली परम्परा रही है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 विजय कुमार सिंह
संगीत शिक्षक, रामबाबू + उच्च वि0 हिलसा, नालन्दा।, भारत।

मगध, महाजनपद, गौरवशाली, बौद्ध, जैन, शांति, अहिंसा, लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोकनाट्य, लोकगाथा इत्यादि।

  1. बिहार की संगीत परम्परा-गजेन्द्र नारायण सिंह
  2. मगही लोकगीत के वृहद् संग्रह-डाॅ0 राम प्रसाद सिंह
  3. मगही लोकगीतों का समाज शास़्त्रीय अध्ययन-वीणा सिंह
  4. मगही संस्कार गीत-डाॅ0 सम्पति अर्याणी
  5. बिहारी की नाटकीय लोकविद्या- डाॅ0 महेश कुमार सिन्हा
  6. शोध प्रबंध- डाॅ0 विजय कुमार सिंह

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 317-320
Manuscript Number : SHISRRJ193332
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 विजय कुमार सिंह , "मगध क्षेत्र में लोकनृत्य की परम्परा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 2, Issue 1, pp.317-320, January-February.2019
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ193332

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