अभ्यासविकारेषु बाध्यबाधकभावो नास्ति

Authors(1) :-मयंकपाण्डेय

कुशवाहा जी ने अपनी कहानियों में स्त्रियों को व्यक्तिगत स्तर पर, जातिगत स्तर पर स्वतंत्र नहीं माना है और यहीं प्रयास भी किया है कि स्त्रियों को व्यक्तिगत स्तर पर अब स्वतंत्र किया जाय।

Authors and Affiliations

मयंकपाण्डेय
शोधच्छात्रः, श्रीलालबहादुरशास्त्रीराष्ट्रियसंस्कृतविश्वविद्यालयः, नई दिल्ली,भारत।

डाॅ सुभाषचन्द्र कुशवाहा, कथा, साहित्य, स्त्री, मूल्यबोध, विकास।

  1. हिंदी साहित्य का आधा इतिहास-सुमन राजे
  2. स्त्रीवादी साहित्य विमर्श-जगदीश चतुर्वेदी
  3. स्त्री कथा-सुधा सिंह
  4. लाला हरपाल के जूते व अन्य कहानियां डॉ सुभाष चन्द्र कुशवाहा
  5. बूचड़खाना कहानी संग्रह-डॉ सुभाष चन्द्र कुशवाहा
  6. होशियारी खटक रही है कहानी संग्रह-डॉ सुभाष चन्द्र कुशवाहा
  7. हिंदी आलोचना की परिभाषिक शब्दावली-डॉ अमरनाथ

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 79-81
Manuscript Number : SHISRRJ2033118
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

मयंकपाण्डेय, "अभ्यासविकारेषु बाध्यबाधकभावो नास्ति ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 1, pp.79-81, January-February.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033118

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