Manuscript Number : SHISRRJ203314
समकालीन भारत में महिलाओं की प्रस्थिति
Authors(1) :-डाॅ0 हमेलता स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व और बाद आम लोगों के बीच महिलाओं के सम्बन्ध में जो धारणाएँ व्याप्त थी और हैं उसमें थोड़ा बदलाव आया है। आम लोगों की नजर में भारतीय स्त्रियों की पहचान एक व्यक्ति के रूप में नहीं होती है, बल्कि उसकी पहचान स्वयं एवं अन्य लोगों के द्वारा पुरुषों के साथ एक पुत्री, एक पत्नी, एक बहन और माँ के रूप मंे होती है। परिवार के बाहर उसकी पहचान वही है, जो उस महिला के सगे-सम्बन्धी के द्वारा सामान्यतः तय किये जाते हैं। जब एक महिला स्वयं को एक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है, तो उसके सामने अनेक समस्यायें उठने लगती है। यद्यपि इस तथ्य से इनकान नहीं किया जा सकता कि सरकार के तमाम प्रयासों ने महिलाआंे की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को पहले से बहुत बेहतर स्थिति में पहुंचाया है लेकिन अब नए-नए कानून बनाने से अधिक यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कैसे उपलब्ध कानूनों का सही क्रियान्वयन किया जाये ताकि अपने संवैधानिक अधिकारों का लाभ शहरों में रह रही उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाआंे के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की महिलायें भी उठा सकें जो संविधान द्वारा प्रदान किये गये मौलिक अधिकारों से वंचित हैं।
डाॅ0 हमेलता प्रस्थिति, परिवार, सम्बन्ध, सामाजिक व आर्थिक एवं संवैधानिक अधिकार आदि। 1. श्रीवास्तव ए0आर0एन0, भारतीय समाज, शेखर प्रकाशन, उ0प्र0, पृ0 176 2. सिंह, रघुराज, भारतीय नारी कल और आज (2008), पृ0 175 3. बसु, डी0डी0, भारतीय संविधान (2014), उत्तर प्रदेश, पृ0 115 4. NSSO सर्वेक्षण रिपोर्ट, भारत सरकार, पृ0 38 5. www.wikipedia.com Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020 Article Preview
आडिटर, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
Date of Publication : 2020-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 104-107
Manuscript Number : SHISRRJ203314
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203314