Manuscript Number : SHISRRJ203319
समसामयिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय महिलाएं
Authors(2) :-डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी, दीपिका गुप्ता स्वामी विवेकानन्द के अनुसार किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सर्वाेŸाम थर्मामीटर वहां की महिलाओं की प्रसिं्थति है। यदि महिला की सिं्थति सुदृढ़ और सम्मान जनक है, तो समाज भी सुदृढ़ एवं मजबूत होगा। महिलाओं को सृष्टि निर्माता की अद्वितीय कृति माना जाता है जिसके अभाव में सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारत में महिलाओं की सिं्थति में पिछले कुछ शतााबिं्दयों में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की सिं्थति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिये जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। समसामयिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष के नेतृत्व से लेकर विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक तक की भूमिका में अपने आप को प्रतिस्थापित किया है। प्रस्तुत शोधपत्र में सामयिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय महिलाओं का विश्लेषण करना है।
डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी सामयिक परिप्रेक्ष्य, अद्वितीय, नेतृत्व, सुदृढ़ एवं गतिशील आदि। 1. गुप्ता एम.एल. एवं शर्मा डी.डी. साहित्य भवन प्रकाशन, (2015) पृष्ठदृ748 Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020 Article Preview
शोध छात्रा (समाजशाó)ए शा. ठाकुरए णमत सिंह महाविद्यालयए रीवा, मध्य प्रदेश, भारत
दीपिका गुप्ता
2. प्रभु पी.एन. हिन्दी सामाजिक संगठन, (2016), पृष्ठदृ258
3. कपाड़िया के.एम. भारत में विवाह एवं परिवार (2010), पृष्ठदृ25
4. अल्टेकर ए.एस. महिला में हिन्दू सभ्यता (2012) पृष्ठदृ33
5. भारत की जनगणना, भारत सरकार (2011)
6. बसू डी.डी. भारत की संवैधानिक व्यवस्था (2014), पृष्ठदृ52
Date of Publication : 2020-01-30
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Page(s) : 108-112
Manuscript Number : SHISRRJ203319
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203319