बृहत्त्रयी में वर्णित कालजयी साहित्य का पौराणिक आस्वाद

Authors(1) :-डाॅ. रेखा गुप्ता

बृहत्त्रयी के पौराणिक सन्दर्भ जीवन जगत को सदैव पथ प्रदर्शक के रूप में अपने महŸव को स्थापित करते रहेंगे। बृहत्त्रयी के पौराणिक आख्यान मानव जीवन से जुड़कर सच्चे अर्थों में “कमले-कमलोत्पŸिा“ का कार्य करते हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ. रेखा गुप्ता
बी.एम. मेमोरियल डिग्री काॅलेज, करही किशुनपुर माडरमऊ, अम्बेडर नगर,उत्तर प्रदेश,भारत।

बृहत्त्रयी, पौराणिक, कालजयी, साहित्य, संस्कृत, मनुष्य, समाज।

  1. मत्स्य पुराण, अध्याय 53, श्लोक 3
  2. पद्य पुराण, (सृष्टि खण्ड), अध्याय 1.45
  3. ‘पाणिनी, अष्टाध्यायी, 8‐2‐105‐
  4. द आक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी पृ0 806
  5. किरातार्जुनीयम्, ३/१७
  6. किरातार्जुनीयम्, २/१८

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020
Date of Publication : 2020-01-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 132-135
Manuscript Number : SHISRRJ203322
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. रेखा गुप्ता, "बृहत्त्रयी में वर्णित कालजयी साहित्य का पौराणिक आस्वाद", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 1, pp.132-135, January-February.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203322

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