मेघदूतम् का भौगोलिक दृष्टि से विवेचन तात्कालिक सम्बन्ध में

Authors(1) :-वीरेन्द्र कुमार मौर्य

भौगोलिक अनिश्चयता का स्वाभाविक परिणाम ऐतिहासिक आस्पष्टता है । देश के विभिन्न भागों में स्थानों, पर्वतों आदि के समान नामों का होना। उदाहरणता कालिदास द्वारा उल्लिखित कोशल बौद्ध सूत्रों में उत्तर प्रदेश माना गया है। वह प्रयत्न भौगोलिक नामों, पर्वत, नदियों, पेड़-पौधों और अन्य सामग्री की यथासंभव पहचान के रूप में होगा।

Authors and Affiliations

वीरेन्द्र कुमार मौर्य
शोधच्छात्र, संस्कृत, शिबली नेशनल पी० जी० कॉलेज आज़मगढ़‚ उत्तर प्रदेश‚भारत।

भौगोलिक‚ मेघदूतम्‚ कालिदास‚ संस्कृत‚ पर्वत‚ ऐतिहासिक‚ नदी।

  1. मेघदूतम् – डॉ विजेन्द्र कुमार शर्मा - साहित्य भण्डार, मेरठ 2016 ।
  2. कालिदास का भारत – भगवतशरण उपाध्याय, भारतीय ज्ञानपीठ नयी दिल्ली 2016 ।
  3. जलवायु विज्ञान – प्रो० सविन्द्र सिंह, प्रयाग पुस्तक भवन इलाहबाद, 2008 ।
  4. मेघदूतम् – डॉ० जयशंकर त्रिपाठी, अक्षयवट प्रकाशन, इलाहबाद, 1996 ।
  5. कालिदास ग्रंथावली – डॉ० ब्रह्मानंद त्रिपाठी, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी, 2014
  6. श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण – गीताप्रेस गोरखपुर ।
  7. महाभरत – रामनारायण दत्त शास्त्री, गीताप्रेस गोरखपुर, सं० 2058 ।
  8. वराहपुराण – चौधरी श्री नारायण सिंह, सर्वभार वाराणसी, 1983 ।

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 98-106
Manuscript Number : SHISRRJ203325
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

वीरेन्द्र कुमार मौर्य, "मेघदूतम् का भौगोलिक दृष्टि से विवेचन तात्कालिक सम्बन्ध में", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 3, pp.98-106, May-June.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203325

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