Manuscript Number : SHISRRJ2033326
वाल्मीकि रामायण में लोक जीवन एक अध्ययन
Authors(1) :-पंकज तिवारी रामायण को देश का आदिकाव्य माना जाता है तथा वाल्मीकि को आदिकवि। रामायण का सम्पूर्ण ताना बाना दशरथ पुत्र राम को नायक मानकर चुना गया है। जो एक महाकाव्य के रूप में है। वास्तव में महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण राष्ट्र को सबसे बड़ी देन है। चूँकि वाल्मीकि रामायण संस्कृत में है तथा उस काल में संस्कृत जानने वाले लोगों की संख्या अधिक नहीं थी, अतः एक ही विद्वान कथा कहता था तथा अन्य जन उसे भक्तिभाव से आनन्दपूर्वक श्रवण करते थे। इसके फलस्वरूप रामकथा का प्रचार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही गया। महर्षि के बाद के अन्य अनेक कवियों ने भी उसी पर आधारित अनेक रचनाएं कीं।
पंकज तिवारी बेबीलोन, आत्मोत्सर्ग, आत्मोकर्ष, वृहद्धर्मपुराण, अपरिहार्य, अन्नजीवी, परिवर्धन, संपृक्त, यर्थाथ, सर्वभूतहितेरतः, विश्वजनीय।
Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
शोध छात्र, संस्कृत विभाग, राजकीय महाविद्यालय झाँसी (सम्बद्ध बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय,झाँसी)
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 239-244
Manuscript Number : SHISRRJ2033326
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033326