धार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टियों के सन्दर्भ में कालिदास का प्रेम-विश्लेषण

Authors(1) :-अनुज कुमार

महाकवि कालिदास ने अपने काव्यों में धार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टियों के सन्दर्भ में प्रेम का विश्लेषण किया है | उन्होंने पुरुषार्थ चतुष्टयं – धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष का क्रमशः उपयोग एवं उपभोग करने से मानवीय जीवन में त्रुटि नही रह पाता और जीवन चिरन्तन सुख को प्राप्त करता है | उनके ग्रंथों में सांख्य दर्शन के प्रकृति पुरुष एवं त्रयगुणादि से युक्त होकर जीवन की पराकाष्ठा का वर्णन उपलब्ध होता है |

Authors and Affiliations

अनुज कुमार
शोधछात्र, संस्कृत विभाग, वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, भारतम्।

धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष , प्रकृति , पुरुष , सत्त्व ,रज , तम |

  1. महाभारत, शान्तिपर्व 8 अध्याय 19 श्लोक
  2. कुमारसंभवम् 1/1
  3. कुमारसंभम्
  4. शकुन्तला नाटक 7 अङ्क 34 श्लोक
  5. कुमारसंभवम्- 2/99
  6. कुमारसंभवम्
  7. रघुवंशम्-8/87-88
  8. कालिदास के सौन्दर्य सिद्धान्त और मेघदूत, पृष्ठ - 176
  9. मेघदूत एक अध्याय, पृष्ठ - 141
  10. उत्तरमेघ-43
  11. उत्तरमेघ-52
  12. कुमारसंभवम्-5/38
  13. मेघदूतम्-1/55

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020
Date of Publication : 2020-02-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 147-152
Manuscript Number : SHISRRJ203341
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

अनुज कुमार, "धार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टियों के सन्दर्भ में कालिदास का प्रेम-विश्लेषण", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 1, pp.147-152, January-February.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203341

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