Manuscript Number : SHISRRJ2033450
आतंकवाद संकल्पना और आयाम
Authors(1) :-डाॅ. पूनम सिंह आतंकवाद आधुनिक युग में सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन की एक पद्धति के रूप में सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक अमानवीय प्रवृत्ति के रूप में उभरा है। आज यह प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के विरूद्ध एक घोषित युद्ध एवं सम्पूर्ण विश्व व मानवता के लिए अभिशाप का रूप धारण कर चुका है। आतंकवाद आज की तारीख में एक ऐसा ब्रह्मास्त्र बन चुका है जिसकी परिधि में दुनिया की सारी अमोध शक्तियाँ भी बौनी साबित हो रही है। 9/11 (ेमचजण्2001 ) की घटना में केवल इमारतें ही नहीं ध्वस्त हुई (पेन्टागन और वर्ड सेन्टर) बल्कि तथाकथिक विकसित सभ्यता, लोकतंत्र और वैज्ञानिक एवं आर्थिक ताकत का समूचा मिथक ही भरभराकर गिर गया। अचानक ओसाम बिन लादेन बनाम जार्ज बुश के नाम आतंकवाद बनाम लोकतंत्र का प्रतिकात्मक युद्ध शुरू हो गया और ये दावा किया गया कि समूची दुनिया अब दो ध्रुवों में विभाजित हो गयी है एक वह जो अमेरिका के साथ है और दुनिया को लोकतंत्र एवं विकास के सस्ते पर ले जाना चाहता है और दूसरा वह जो आतंकवाद के साथ दुनिया को विध्वंस और नफरत की दुनिया में धकेल देना चहता है।
डाॅ. पूनम सिंह Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020 Article Preview
नेट पी-एच.डी. राजनीतिशास्त्र, भारत।
Date of Publication : 2020-03-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 120-125
Manuscript Number : SHISRRJ2033450
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2033450