शिक्षकों के व्यावसायिक विकास संवर्धन हेतु क्रियात्मक अनुसंधान की उपादेयता

Authors(1) :-डा. भारती कौशल

शिक्षा के बदलते परिदृश्यमेंजहाँशिक्षकों के द्वारास्व-व्यावसायिक संवर्धन हेतु अनेक उपागमों का अनुसरण किया जा रहा है वहाँ क्रियात्मक अनुसंधान परिस्थितिजन्यतात्कालिक समस्याओं के समाधान हेतु एक उभरते उपागम के रूप में सामने आ रहा है। क्रियात्मक अनुसंधान एक ऐसी प्रक्रिया है जो न केवल शिक्षकों को व्यावसायिक रूप से दक्ष बनाने में समर्थ है अपितु इसकेद्वाराशिक्षक शिक्षण अधिगम के दौरान अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक रूप से समाधान करने का प्रयास करते हैं। यह शिक्षक को उसके द्वारा किए जाने वाली क्रियाओं के लिए निर्णयोंके मूल्यांकन में पथ प्रदर्शक है।प्रस्तुत पत्र में क्रियात्मक अनुसंधान के संक्षिप्तउद्गम परिचय, क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य, सोपान एवं शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास संवर्धन के सन्दर्भमेंक्रियात्मक अनुसंधान की महत्ता पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।

Authors and Affiliations

डा. भारती कौशल
सहायकाचार्या (अतिथि), श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, भारत।

क्रियात्मक अनुसंधान, व्यावसायिक विकास संवर्धन

  1. कुलश्रेष्ठ, एस.पी. (2015), शैक्षिक तकनीकी के मूल आधार, आर. लाल बुक डिपो, मेरठ
  2. अग्रवाल, जे.सी. (2013), शैक्षिक तकनीकी एवं प्रबंधन, अग्रवाल पब्लिकेशन्स, आगरा
  3. पाण्डेय, के.पी. (2008),शैक्षिक अनुसंधान, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
  4. सिंह, देवेन्द्र (2014), क्रियात्मक अनुसंधान, जगदंबा पब्लिशिंगकंपनी, दरियागंज, नई दिल्ली
  5. भारद्वाज, अमिता पाण्डेय (2014),विद्यालयीयशिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान , आकांक्षा पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020
Date of Publication : 2020-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 52-56
Manuscript Number : SHISRRJ203355
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डा. भारती कौशल, "शिक्षकों के व्यावसायिक विकास संवर्धन हेतु क्रियात्मक अनुसंधान की उपादेयता ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 4, pp.52-56, July-August.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203355

Article Preview