अनुकूल गुण परिणाम - एक समीक्षा

Authors(1) :-स्रिता देवी

आसन के अभ्यास के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक स्थिरता पाने के लिए इस आसन का उपयोग होता है। इसमें मस्तिष्क की पेशियों में बिना बाधा के रक्त की आपूर्ति के कारण उसमें झोंके कम होती हैं, स्पंदन कम होते है, स्थिरता आ जाती है और तटस्थ वृत्ति उत्पन्न होती है। यहीं तटस्थता और निर्बाधता आगे के आसन अभ्यास की ठोस नींव बनती है। इस आसन से पूरा शरीर ताजा रहता है विशेष रूप से रीढ़ की हड्डियाँ और मज्जारज्जु तन जाने से शरीर का आलस्य दूर होकर मस्तिष्क फुर्तीला बनता है। अधोमुख श्वानासन के ये दो प्रकार के दोहरे लाभ ध्यान रखकर प्रातः अभ्यास के आरंभ में यह आसन करने से मन और शरीर तरोताजा बनकर कार्यशील हो जाता है। सायंकाल में आसनाभ्यास के आरंभ करने से शरीर और मन स्थिर होने में सहायता मिलती है।

Authors and Affiliations

स्रिता देवी
नेट, शोधच्छात्रा, संस्कृत, शिब्ली नेशनल पी.जी. कालेज, आजमगढ़, यूनिवर्सिटी (पूर्वान्चल), उत्तर प्रदेश, भारत।

अनुकूल, गुण, परिणाम, शारीरिक, मानसिक, प्रकृति, आसन, अभ्यास, मन।

(1) पुरी अंजलि, योग मंजरी।

(2) पाण्डेय, गोविन्द चन्द, वैदिक संस्कृति माण्डूक्योपनिषद्।

(3) उमेश जोशी, भारतीय संगीत का इतिहास ।

(4) रावत,, रामदयाल, योग साधना।

(5) स्वात्मराम, स्वामी, हठ प्रदीपिका।

(6) मनुस्मृति।

(7) वैदालकार, जगन्नाथ, श्री अरविन्द योग समन्वय, श्री भरविन्द आश्रम, पाण्डिचेरी, 1990।

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-05
Manuscript Number : SHISRRJ20351
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

स्रिता देवी, "अनुकूल गुण परिणाम - एक समीक्षा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 5, pp.01-05, September-October.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20351

Article Preview