Manuscript Number : SHISRRJ20358
मोनपा जनजाति में प्रचलित लोकविश्वास (शव काटनेवाला आदमी उपन्यास के विशेष संदर्भ में)
Authors(1) :-दिगंत बोरा सभी समाज में धर्म, जीव, जन्म, मृत्यु आदि से संबंधित लोक-विश्वास युगों-युगों से चली आ रही हैं । लोकविश्वास लोक-संस्कृति का ही एक अंग है । जन जीवन में बहुत से ऐसे विश्वास जड़े जमाए हुए हैं, जिनके फल-फूल-पत्र के रूप में बहुत सी प्रथा-परंपराएँ विकसित होती हैं । मोनपा जनजाति अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख जनजातियों में से एक है । मोनपा जनजाति के लोग अपनी सामाजिक परंपरा का पालन करनेवाले विनम्र किंतु अपने धर्म पर दृढ़ आस्था रखने वाले लोग है । अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति के लोग सबसे अधिक धर्म पर आस्था रखते हैं । किसी बच्चें के जन्म पर लामा को जन्म कुंडली दिखाकर ही उसका नामकरण करते है । मोनपा जनजाति में कुंडली का पाठ केवल नामकरण में ही नहीं किया जाता है, किसी के सत्कार के लिए भी जन्म कुंडली देखा जाता है । मोनपा समाज के लोग व्यक्ति के पूनर्जन्म पर विश्वास रखते है । उन लोगों क विश्वास है कि व्यक्ति का पृथ्वी पर जन्म लेना पूर्वजन्म का फल है । उसी पूण्य पर आस्था रखते हुए दारगे नरबू आजीवन शव का सत्कार करते रहते है । इसके अतिरिक्त वे लोग भूत-प्रेत, आत्मा-प्रेतात्मा आदि पर भी विश्वास रखते है । ज्यादातर लोकविश्वास जन्म, मृत्यु, कर्मफल, मुक्ति आदि से ही संबंधित है ।
दिगंत बोरा पूर्वजन्म, भाग्यवाद, लोक-संस्कृति, लोक-विश्वास, मोनपा जनजाति, बौद्ध धर्म आदि Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, जे.डी.एच.जी. महाविद्यालय, बोकाखाट, असम, भारत।
Date of Publication : 2020-09-30
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Page(s) : 44-47
Manuscript Number : SHISRRJ20358
Publisher : Shauryam Research Institute
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