वाल्मीकिरामीयं महाकाव्य में बालोपदेश

Authors(1) :-अराधिका

उत्तरसीताचरितम् महाकाव्य में प्रयुक्त सभी पात्रों के क्रिया कलाप भारतीय संस्कृति के आधार है। यह भारतीयों के जीवन और संस्कृति के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते है। संस्कृति व्यक्तिगत सम्पत्ति न होकर समाज या राष्ट्र की निधि है। विश्व का हित, विश्व की उन्नति का मूल संस्कृति है जिससे सभी प्रकार से राष्ट्र और विश्व की समुन्नति आश्रित है। भारतीय संस्कृति का वैशिष्ट्य, धर्मप्राधान्य आध्यात्मिकी और पारलौकिक भावना सदाचार पालन, वर्णव्यवस्था और आश्रम व्यवस्था कर्मवाद व पुनर्जन्मवाद, मोक्ष, श्रुतिप्रमाण, यज्ञ महत्व, सत्यपरिपालन, अहिंसापालन, त्याग, तपोमयजीवन और मातृपितृ गुरूभक्ति आदि में राष्ट्र और विश्व की समुन्नति निहित है।

Authors and Affiliations

अराधिका
शोधच्छात्रा, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत।

वाल्मीकिरामीयं, बालोपदेश, भाषा, महाकाव्य, सदाचार, नैतिकता, राष्ट्रवादी।

  1. वाल्मीकिरामीयं 4/3
  2. वही, 4/4
  3. तैत्तिरीयोपनिषद् 1/11/12
  4. वाल्मीकिरामीयं 4/5
  5. वही, 4/6
  6. वही, 4/7
  7. वही, 4/8
  8. वही, 4/10
  9. वही, 4/9
  10. वही, 4/11
  11. वही, 4/12
  12. वही, 4/13
  13. वृहदारण्कोपनिषद् 4/7/735
  14. वाल्मीकिरामीयं 4/14-15
  15. पृथ्वीसूक्त 12/1/10
  16. वाल्मीकिरामीयं 4/19-20
  17. मनुस्मृति 6.12
  18. योगदर्शन 2.30
  19. वाल्मीकिरामीयं 4/21

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 17-22
Manuscript Number : SHISRRJ203623
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

अराधिका, "वाल्मीकिरामीयं महाकाव्य में बालोपदेश", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 6, pp.17-22, November-December.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203623

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