Manuscript Number : SHISRRJ203638
कौल-ज्ञान एवं इसकी प्रासंगिकता
Authors(1) :-डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी भगवान शंकर के द्वारा देवी पार्वती को बताए गए ज्ञान में ही कौल ज्ञान को भी समाहित माना जाता है। कहा जाता है कि कौलज्ञान परम सिद्धि दायक होता है। इस कौलज्ञान के प्रवर्तक मत्स्येंद्रनाथ माने जाते हैं। कुल अर्थात शक्ति और अकुल अर्थात शिव के बीच संबंध स्थापित होने को ही कौल मार्ग कहा गया है। इसलिए कौल साधना का लक्ष्य कुल और अकुल के बीच संबंध स्थापित करना है। तथा इसका प्रमुख कर्तव्य शिव शक्ति कुंडलिनी को जागृत करना है क्योंकि शक्ति ही महाकुंडलिनी के रूप में जगत में व्याप्त है। यही कुंडलिनी शक्ति जब सहस्रार में स्थित परम शिव से मिलती है तब परमानंद की प्राप्ति होती है। यही परमानंद की प्राप्ति करना ही कौल साधना का लक्ष्य है। प्रस्तुत शोध लेख में कौल ज्ञान के इन्हीं पहलुओं पर चर्चा किया गया है।
डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी कौल, ज्ञान, भगवान शंकर, देवी, पार्वती, शक्ति, महायोगी मत्स्येन्द्रनाथ| Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020 Article Preview
(तिघरा, नगहरा, बस्ती) 48/18 HIG योजना-2 झूँसी इलाहाबाद- 211019
Date of Publication : 2020-12-30
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Page(s) : 114-118
Manuscript Number : SHISRRJ203638
Publisher : Shauryam Research Institute
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