कौल-ज्ञान एवं इसकी प्रासंगिकता

Authors(1) :-डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी

भगवान शंकर के द्वारा देवी पार्वती को बताए गए ज्ञान में ही कौल ज्ञान को भी समाहित माना जाता है। कहा जाता है कि कौलज्ञान परम सिद्धि दायक होता है। इस कौलज्ञान के प्रवर्तक मत्स्येंद्रनाथ माने जाते हैं। कुल अर्थात शक्ति और अकुल अर्थात शिव के बीच संबंध स्थापित होने को ही कौल मार्ग कहा गया है। इसलिए कौल साधना का लक्ष्य कुल और अकुल के बीच संबंध स्थापित करना है। तथा इसका प्रमुख कर्तव्य शिव शक्ति कुंडलिनी को जागृत करना है क्योंकि शक्ति ही महाकुंडलिनी के रूप में जगत में व्याप्त है। यही कुंडलिनी शक्ति जब सहस्रार में स्थित परम शिव से मिलती है तब परमानंद की प्राप्ति होती है। यही परमानंद की प्राप्ति करना ही कौल साधना का लक्ष्य है। प्रस्तुत शोध लेख में कौल ज्ञान के इन्हीं पहलुओं पर चर्चा किया गया है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी
(तिघरा, नगहरा, बस्ती) 48/18 HIG योजना-2 झूँसी इलाहाबाद- 211019

कौल, ज्ञान, भगवान शंकर, देवी, पार्वती, शक्ति, महायोगी मत्स्येन्द्रनाथ|

  1. कौलज्ञान निर्णय - 6/9, 14/9 डॉ. प्रवोध चन्द्र बागची, कलकत्ता संस्कृत सिरीज नं. 3, कलकत्ता 1934।
  2. वही - 16/46-49।
  3. वही. 14/10।
  4. सौभाग्य भास्कर पृ. 53।
  5. सिद्ध सिद्धान्त संग्रह, महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज, सरस्वतीभवन टे.-, 13 काशी 1925 ई. - चतुर्थ उपदेश, श्लोक सं. 10-13।
  6. वही. 4/26।
  7. कौल ज्ञान निर्णय डॉ. प्रवोध चन्द्र बागची, कलकत्ता संस्कृत सिरीज नं. 3 कलकत्ता 1934 -1aa1a111 17/8-9।
  8. सौन्दर्यलहरी - आदिगुरु शंकराचार्य - 1।
  9. नाथ संप्रदाय, - डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, हिन्दुस्तानी एकेडमी इलाहाबाद सं. 2012, पृ. 64-65।
  10. शिवसंहिता पाणिनि आफिस, इलाहाबाद 1914 - 5/151-152।
  11. सिद्धसिद्धान्त संग्रह महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज, सरस्वती भवन टे. 13, - 5/11।
  12. अकुलवीरतन्त्र -बी.-115।
  13. अकुलवीरतन्त्र - ए - 78/87। चतुराशीतिसिद्धप्रवृत्ति, तन्जूर 86/1, कॉर्डियर पृ. 247।

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 114-118
Manuscript Number : SHISRRJ203638
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी, "कौल-ज्ञान एवं इसकी प्रासंगिकता ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 6, pp.114-118, November-December.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ203638

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