Manuscript Number : SHISRRJ20383
राज्य के सप्तांगों में कोष की महत्त्ता
Authors(1) :-डॉ. आरती यादव राज्य प्रशासन में कोश की भूमिका अत्यन्त महनीय है। उसके बिना न तो सेना का सुचारू रुप से संचालन हो सकता है और न ही न्याय व्यवस्था सुचारू रूप से चल सकती है इसलिए राजा को कोष वृद्धि का हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। अन्यथा राज्य व्यवस्था सुचारु रूप से नहीं चल पायेगी।
डॉ. आरती यादव राज्य‚ सप्तांग‚कोष‚ राज्य‚ प्रशासन‚ न्याय‚ व्यवस्था १. कौटिलीय अर्थशास्त्रम्, कौटिल्य, (व्याख्याकार)- वाचस्पति गैरोला, चतुर्थ संस्करण २००३ २. मनुस्मृति, (सं-) श्रीमती उर्मिला रूस्तगी १-१२ अध्याय, जे. पी. पव्लिशिंग हाउस दिल्ली, संस्करण २००७ ३. महाभारत, शान्तिपर्व, (प्र.सं.) डा. पं श्रीपाददामोदर सातवलेकर, स्वाध्याय मण्डल पारडी (जि. बलसाड) प्रथम संस्करण १९७९ ४. राजनीतिरत्नाकर:, श्री चण्डेश्वर( व्याख्याकार) श्री वाचस्पति गैरोला एवं पं तारिणीस झा, चौ.संस्कृत, सीरीज आफिस, वाराणसी -१ प्रथम संस्करण १९७० ५.शुक्रनीति श्रीमच्छुकाचार्य,( नि.) खेमराज श्री कृष्णदास, ६.वैदिक व्यवस्था, डा. महावीर, समानान्तर प्रकाशन, प्रथम संस्करण २००१. Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, संस्कृत – विभाग‚ चौ. चरण सिंह पी. जी. कॉलेज हेंवरा सैफ़ई‚ इटावा‚ उत्तर प्रदेश‚ भारत।
Date of Publication : 2020-09-30
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Page(s) : 261-273
Manuscript Number : SHISRRJ20383
Publisher : Shauryam Research Institute
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