दोयम से पहले दर्जे की यात्रा

Authors(1) :-डॉ. उमा मीणा

आत्मकथाओं में हम देखते हैं कि ये वे स्त्रियाँ हैं जिन्होंने शिक्षा,राजनीति साहित्य और व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है । इन्होने यह सिद्ध करके दिखाया है कि दोहरी जिम्मेदारियां निभाते हुए भी ये किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं । समाज के विकास में उनकी भूमिका पुरुष से किसी भी प्रकार कम नहीं है ।लेकिन स्त्री को समाज में पुरुष के बराबर का दर्जा तभी मिल सकता है जबकि स्त्री को दोयम दर्जे का समझने की मानसिकता से पुरुष समाज मुक्त नहीं हो जाता ।

Authors and Affiliations

डॉ. उमा मीणा
सहायक प्राध्यापक‚ मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय‚ भारत।

आत्मकथा‚ दोयमशिक्षा‚ राजनीति‚ साहित्य‚ यात्रा‚ दर्जे।

  1. अन्य से अनन्या –प्रभा खेतान पृ. 170
  2. वही पृ. 210
  3. वही पृ. 212
  4. एक कहानी यह भी –मन्नू भंडारी पृ. 49
  5. वही पृ. 49
  6. वही पृ. 88
  7. वही पृ. 66
  8. अन्य से अनन्या-प्रभा खेतान पृ. 211-212
  9. वही पृ. 212
  10. हादसे –रमणिका गुप्ता पृ. 26
  11. वही पृ. 245
  12. कस्तूरी कुंडल बसे –मैत्रेयी पुष्पा पृ. 79
  13. गुडिया भीतर गुडिया-मैत्रेयी पुष्पा पृ. 222
  14. वही पृ. 224
  15. मेरे आका –तहमीना दुर्रानी पृ. 353
  16. वही पृ. 360
  17. वही पृ. 272
  18. वही पृ. 315

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 40-44
Manuscript Number : SHISRRJ214211
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. उमा मीणा , "दोयम से पहले दर्जे की यात्रा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.40-44, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214211

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