Manuscript Number : SHISRRJ2142211
वाल्मीकि रामायण में नीतितत्त्व
Authors(1) :-डा0 प्रभात कुमार नीति शब्द ‘नी‘1 धातु से “स्त्रियां क्तिन्‘2 सूत्र से भावार्थक क्तिन् प्रत्यय के योग से निष्पन्न है। ‘नी‘ धातु ले जाने या ले चलने के अर्थ में प्रयुक्त होता है। अमरकोष के अनुसार नीति समानार्थक एक ‘नय‘ शब्द भी है, जो ‘नी‘ धातु में अच् प्रत्यय के योग से निष्पन्न होता है। ‘नी‘ धातु में अच् प्रत्यय लगने पर नी के ई को गुण ए तथा ए को अय् आदेश होता है। इस प्रकार न् $़ अय् $ अच्= नय शब्द बनता है। इससे स्पष्ट है कि नीति एवं नय दोनों हो शब्द नी धातु से निष्पन्न है। नीति शब्द के अर्थ वामन शिवराम आप्टे कृत संस्कृत हिन्दी कोष में3 निर्देशन, मार्गदर्शन, पद्धति, रीति, औचित्य आदि दिये गये हैं। लगभग इन्हीं अर्थों4 का बोधक ‘नय‘ शब्द भी है। विभिन्न कोषों के अनुसार नीति शब्द के अर्थ नीति, रीति, पद्धति, व्यवस्था, औचित्य आदि ही है।
डा0 प्रभात कुमार Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय प्रयागराज।, भारत।
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-157
Manuscript Number : SHISRRJ2142211
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142211