वाल्मीकि रामायण में नीतितत्त्व

Authors(1) :-डा0 प्रभात कुमार

नीति शब्द ‘नी‘1 धातु से “स्त्रियां क्तिन्‘2 सूत्र से भावार्थक क्तिन् प्रत्यय के योग से निष्पन्न है। ‘नी‘ धातु ले जाने या ले चलने के अर्थ में प्रयुक्त होता है। अमरकोष के अनुसार नीति समानार्थक एक ‘नय‘ शब्द भी है, जो ‘नी‘ धातु में अच् प्रत्यय के योग से निष्पन्न होता है। ‘नी‘ धातु में अच् प्रत्यय लगने पर नी के ई को गुण ए तथा ए को अय् आदेश होता है। इस प्रकार न् $़ अय् $ अच्= नय शब्द बनता है। इससे स्पष्ट है कि नीति एवं नय दोनों हो शब्द नी धातु से निष्पन्न है। नीति शब्द के अर्थ वामन शिवराम आप्टे कृत संस्कृत हिन्दी कोष में3 निर्देशन, मार्गदर्शन, पद्धति, रीति, औचित्य आदि दिये गये हैं। लगभग इन्हीं अर्थों4 का बोधक ‘नय‘ शब्द भी है। विभिन्न कोषों के अनुसार नीति शब्द के अर्थ नीति, रीति, पद्धति, व्यवस्था, औचित्य आदि ही है।

Authors and Affiliations

डा0 प्रभात कुमार
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय प्रयागराज।, भारत।

  1. भट्टोजिदीक्षित, सिद्धान्त कौमुदी, णीअ् प्रापणे।
  2. पाणिनि अष्टाध्यायी, 3.3.94 भावे स्त्रियां क्तिन्।
  3. वामन शिवराम आप्टे, पृ0 555
  4. वहीं, पृ0 511
  5. हिन्दी उपन्यास का विकास और नैतिकता- डॉ० सुखदेव शुक्ल, पृ0 31
  6. हिन्दी साहित्य कोष, सम्पादक डा० धीरेन्द्र वर्मा, पृ0 20
  7. गाँधी साहित्य, धर्मनीति, पृ० 3 व 4
  8. श्री चन्द्रभान गुप्त, अभिनन्दनग्रन्थ, हिन्दी साहित्य के मध्य युग का नीति और विवेक परक काव्य- डॉ० दीन दयाल गुप्त, पृ0 320
  9. वाल्मीकि रामायण, उत्तर काण्ड, 91/25
  10. वाल्मीकि रामायण- अयोध्या काण्ड, 1/46
  11. चाणक्य नीति दर्पण-13वाँ अध्याय श्लोक 10
  12. वाल्मीकि रामायण-बालकाण्ड-7/11
  13. वाल्मीकि रामायण- युद्धकाण्ड-6/ध्10

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-157
Manuscript Number : SHISRRJ2142211
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डा0 प्रभात कुमार, "वाल्मीकि रामायण में नीतितत्त्व ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.151-157, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142211

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