Manuscript Number : SHISRRJ2142212
वर्तमान विसंगतियाँ और बौद्ध दर्शन
Authors(1) :-डाॅ0 पूनम सिंह आज पूरा विश्व तमाम विसंगतियों से प्रभावित है, जिससे मानव समुदाय कराह रहा है और इनसे छुटकारा पाने के लिए धर्मों के तरफ रुख कर रहा है। वैसे देखा जाये तो मानव समुदाय वैज्ञानिक शोधों के द्वारा तमाम प्रकृति के रहस्यों को उद्घाटित करने में भी सफल रहा है। यहाँ तक कि वह दूसरे ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने की योजना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर परमाणु शक्तियों से लैस होने के होड़ में पूरा विश्व लगा है। एक तरह से अपने विनाश की पृष्ठभूमि मानव समाज तैयार कर लिया है। आज मानव समुदाय पूर्ण रूप से संचार साधनों से भी लैस होता जा रहा है। जो पर भर में पूरे विश्व में एक देश से दूसरे देश के किसी भी जगह संदेश पहुँचा रहे हैं, सुपर कम्प्यूटर बनाकर आंकड़ों का लेखा-जोखा रखने में सक्षम है, लेकिन इस वैश्विक युग में भी मानवीय वेदना का अन्त होता नहीं दिख रहा है। आज पूरे विश्व में भूख, गरीबी, लाचारी, बीमारी से त्रस्त, आधी आबादी कहलाने वाली महिला वर्ग के साथ बढ़ती बर्बरता व उपभोग की सामग्री बनाने की प्रक्रिया में देह विमर्श, बढ़ती आबादी, घटता जनसंसाधन, धर्म के नाम पर हिंसा, बढ़ते अमीरों की फौज इत्यादि समस्याएँ बढ़ी हैं। मानव समुदाय भौतिकता की अंधी दौड़ से थक चुका है, वह शान्ति के लिए व्याकुल हो उठा है, वह सांसारिक जीवन की इन विसंगतियों से मुक्त होना चाहता है और घृणा, ईष्र्या जैसी विकृतियों को त्याग करके प्रेम, दया, करुणा, सेवा, परपीड़ानुभूति और परोपकार को अपनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में मानव समुदाय को बौद्ध दर्शन ही मार्गदर्शन कर सकता है।
डाॅ0 पूनम सिंह Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
नेट, पी0एच0डी0 (राजनीति शास्त्र)
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 158-162
Manuscript Number : SHISRRJ2142212
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142212