वैदिक वाङ्मय में सप्तसैन्धव प्रदेश और गंगा

Authors(2) :-डाॅ.बी बी त्रिपाठी, गौरी

रुद्रप्रयाग से मन्दाकिनी और अलकनन्दा का पवित्र जल जब और आगे बढ़ता है तो वह अनेक प्रयागों का स्पर्श करता हुआ उस देवप्रयाग में पहुँचता है, जहाँ जह्नुसुता जाह्नवी अलकनन्दा के जल का स्पर्श करते ही संयुक्त रूपा गंगा में विलीन हो जाती हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ.बी बी त्रिपाठी
शोध निर्देशक, राजकीय महिला महाविद्यालय, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
गौरी
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू महाविद्यालय ललितपुर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी (उत्तर प्रदेश)

वैदिक, वाङ्मय, सप्तसैन्धव, गंगा, संस्कृत, साहित्य, ऋग्वेद।

  1. डाॅ. राजदेव मिश्र, काव्यसौरभम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 18
  2. डाॅ. राजदेव मिश्र, काव्यसौरभम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 71
  3. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यकौतुकम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 38
  4. धूमिल, संसद से सड़क तक, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, पृ. 65
  5. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यसौरभम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 74
  6. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यसौरभम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 74
  7. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यकौतुकम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 21
  8. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यसौरभम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 33
  9. महात्मा गांधी हिन्द स्वराज सर्व सेवा संघ प्रकाशन वाराणसी पृष्ठ 36
  10. डॉ. राजदेव मिश्र, काव्यकौतुकम्, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, पृ. 55

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 169-173
Manuscript Number : SHISRRJ2142214
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ.बी बी त्रिपाठी, गौरी, "वैदिक वाङ्मय में सप्तसैन्धव प्रदेश और गंगा ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 2, pp.169-173, March-April.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142214

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