Manuscript Number : SHISRRJ2142214
वैदिक वाङ्मय में सप्तसैन्धव प्रदेश और गंगा
Authors(2) :-डाॅ.बी बी त्रिपाठी, गौरी रुद्रप्रयाग से मन्दाकिनी और अलकनन्दा का पवित्र जल जब और आगे बढ़ता है तो वह अनेक प्रयागों का स्पर्श करता हुआ उस देवप्रयाग में पहुँचता है, जहाँ जह्नुसुता जाह्नवी अलकनन्दा के जल का स्पर्श करते ही संयुक्त रूपा गंगा में विलीन हो जाती हैं।
डाॅ.बी बी त्रिपाठी वैदिक, वाङ्मय, सप्तसैन्धव, गंगा, संस्कृत, साहित्य, ऋग्वेद। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
शोध निर्देशक, राजकीय महिला महाविद्यालय, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
गौरी
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू महाविद्यालय ललितपुर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी (उत्तर प्रदेश)
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 169-173
Manuscript Number : SHISRRJ2142214
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142214