Manuscript Number : SHISRRJ214222
शिक्षा के अनिवार्य अंग के रूप में जनसंख्या शिक्षाकी भूमिका
Authors(1) :-डॉ. आरती शर्मा शिक्षा ज्ञान प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन है। शिक्षा ज्ञान के प्रसार द्वारा अतीत, वर्तमान और भविष्य के मध्य फैले अंतराल को दूर करती है तथा व्यक्तियों और उनके समूहों को ऐसा ज्ञान, चेतना एवं कौशल प्रदान करती है कि वे वैयक्तिक एवं सामूहिक जीवन-यापन करने योग्य बन सकें तथा सांस्कृतिक एवं आर्थिक जीवन में सहभागिता निभा सकें। मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है और शिक्षा केवल मनुष्य के लिये होती है ,अन्य प्राणियों के लिए नहीं। प्रारम्भ से ही मनुष्य शिक्षा के माध्यम से समाज और प्रकृति के बारे में ज्ञान प्राप्त करता आया है तथा कार्यकारण की कसौटी पर इस ज्ञान को परखता रहा है। जनसंख्या के आकार-प्रकार के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी मनुष्य सदैव जागरूक रहा है। जनसंख्या शिक्षा की अवधारणा शताब्दियों पुरानी नही है, इसका उद्भव काल लगभग बीसवीं शताब्दी के मध्यकाल को माना जा सकता है जब मनुष्य, समाज एवं शासन ने बढ़ती आबादी को एक चिन्ता के रूप में देखना शुरू किया तथा इसे नियन्त्रित करने के लिए प्रयास प्रारम्भ किये। वस्तुतः जनसंख्या शिक्षा जनसंख्या चेतना ही है जो बढ़ती आबादी और इसके दुष्परिणामों को ध्यान में रखकर विकसित होती है। बढ़ती जनसंख्या विकास की दिशा में सबसे बड़ा अवरोध सिद्ध होती है अतएव जनसंख्या और इससे जुड़े मुद्दो के बारे में मानव व्यवहार को तार्किक एवं उत्तरदायी बनाने की आवश्यकता ने ही जनसंख्या शिक्षा की अवधारणा को जन्म दिया है। यूनेस्को द्वारा भी स्पष्ट प्रतिपादित किया है कि- जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है जो परिवार, समूह, राष्ट्र तथा विश्व की जनसंख्या के सन्दर्भ में विद्यार्थियों में आदर्श एवं जिम्मेदारीपूर्ण अभिव्यक्ति तथा व्यवहार प्रस्तुत करती है। अतः प्रस्तुत पत्र में हम जनसंख्या शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र, महत्त्व के विषय में चर्चा करते हुए शिक्षा के अनिवार्य अंग के रूप में जनसंख्या शिक्षा की भूमिका एवं जनसंख्या शिक्षा हेतु अध्यापक की भूमिका को प्रतिपादित करने का प्रयास करेंगें।
डॉ. आरती शर्मा शिक्षा‚ अंग‚ जनसंख्या‚ संबंध‚ समाज‚ संस्कृति‚ मनुष्य‚ अध्यापक‚ अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
सहायकाचार्या, शिक्षाशास्त्रविभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।, भारत
Date of Publication : 2021-03-30
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Page(s) : 126-131
Manuscript Number : SHISRRJ214222
Publisher : Shauryam Research Institute
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