Manuscript Number : SHISRRJ2142220
सतत विकास हेतु शिक्षाः एक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ. शिवराज कुमार सतत विकास वह विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करता है। सतत विकास के लिए शिक्षा प्रत्येक मनुष्य को एक स्थायी भविष्य को आकार देने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और मूल्यों को प्राप्त करने की अनुमति देती है। बुनियादी शिक्षा एक राष्ट्र की स्थिरता लक्ष्यों को विकसित करने और प्राप्त करने की क्षमता की कुंजी है। शिक्षा कृषि उत्पादकता में सुधार कर सकती है, महिलाओं की स्थिति को सुधार सकती है, जनसंख्या वृद्धि दर को कम कर सकती है, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ा सकती है और आम तौर पर जीवन स्तर को बढ़ा सकती है। लेकिन केवल बुनियादी साक्षरता बढ़ाने से एक स्थायी समाज का समर्थन नहीं होगा। सतत विकास के लिए शिक्षा को शामिल करते हुए स्थानीय विशिष्ट संसाधन सामग्री का संस्थागत सुधार, पाठ्यक्रम सुधार और विकास प्राथमिकताएं हैं। सतत विकास के लिए शिक्षा की आवश्यकता है जिसमें जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम में कमी, गरीबी में कमी, जैव विविधता और सतत उपभोग जैसे शिक्षण और सीखने में प्रमुख सतत विकास के मुद्दे शामिल हैं। इसके लिए सहभागी शिक्षण और सीखने के तरीकों की भी आवश्यकता होती है जो शिक्षार्थियों को अपने व्यवहार को बदलने और ऊर्जा के संरक्षण, पानी, वृक्षारोपण, प्राकृतिक ऊर्जा के उपयोग आदि जैसे सतत विकास के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित और सशक्त बनाते हैं। यदि सतत विकास के लक्ष्यों को साकार करना है, हमारी वर्तमान जीवन शैली और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के संबंध में सभी स्तरों पर शिक्षा के सभी हितधारकों के दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता होगी।
डाॅ. शिवराज कुमार सतत विकास, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण आदि।
Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर एवं हेड, शिक्षक शिक्षा विभाग, एन.एम.एस.एन. दास पी.जी.काॅलेज, बदायँू, भारत।
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 202-206
Manuscript Number : SHISRRJ2142220
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2142220