Manuscript Number : SHISRRJ214229
बौद्ध काल में ब्राह्मणों का नैतिक पतन
Authors(1) :-डाॅ0 अभिजात ओझा भयपूर्ण वातावरण में बुद्ध ने ऐसी विचारधारा प्रस्तुत की जो जनसाधारण को मनोवैज्ञानिक शांति पहुँचा सके। बुद्ध इस प्रकार की दशा के कारणों की खोज में न पड़कर लोगों के सांसारिक (भौतिक) दुःख की जगह सार्वभौम दुःख के ज्ञान द्वारा उन्हें आदर्श समाधान दिया। टेªवर लिंग के अनुसार इस क्षेत्र में कृषि के विकास ने अत्यधिक सघन आबादी एवं नगरीकरण को जन्म दिया और बदले में नगरीकरण ने सामाजिक स्तर पर व्यक्तिवाद को तथा राजनीतिक स्तर पर निरंकुश राजतंत्र को जन्म दिया। व्यक्तिवाद एवं राजतंत्र के विकास ने व्यक्ति की नैतिक एवं आध्यात्मिक सोच को अस्त-व्यस्त कर डाला। इस दुविधा ने मानवीय परिस्थितियों के प्रति असंतोष पैदा किया और बुद्ध के लिए व्यक्तिगत दुखों की यह बात ही उनके मानवीय दशा के विष्लेषण का आरंभिक बिंदु बनी।
डाॅ0 अभिजात ओझा बौद्ध, काल, ब्राह्मण, नैतिक, पतन, जनसाधारण, मनोवैज्ञानिक, वातावरण, व्यक्तिवाद। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, नेहरु ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2021-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 10-15
Manuscript Number : SHISRRJ214229
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214229