Manuscript Number : SHISRRJ214336
श्रीमद्भागवतपुराणे धर्मस्य स्वरूपम्
Authors(1) :-आचार्य (डॉ.) बृहस्पतिमिश्रः कवि मत्स्येन्द्र इस सत्य से परिचित हैं कि किसान ही इस धरती का प्रथम उत्पादक है। किसान की मेहनत के बिना किसी प्रकार का खाद्य उत्पादक सम्भव नहीं है। हम अपने मुख से जितनी भी वस्तुएँ पेट में उतारते हैं वह किसी न किसी रूप में हमें धरती से ही प्राप्त होती है। इसके साथ यह सत्य भी जुड़ा हुआ है कि प्रत्येक वस्तु जो धरती से पैदा होती है उसका जन्मदाता किसान ही होता है। किसान के बिना जीवन सम्भव है, पर किसानी के बिना नहीं।
आचार्य (डॉ.) बृहस्पतिमिश्रः मत्स्येन्द्र शुक्ल, कविता, गरीब किसान, आत्मसंघर्ष, जन्मदाता। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
सहाचार्यः, संस्कृतपालिप्राकृतविभागः, हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालयः, धर्मशाला,काङ्गड़ा (हि.प्र.)
Date of Publication : 2021-06-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 208-213
Manuscript Number : SHISRRJ214336
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214336