आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पंचायती राज्य की भूमिका : एक समीक्षा

Authors(1) :-विजय कुमार विश्वकर्मा

आत्मनिर्भर भारत को साकार बनाने में पंचायतों का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है। यदि गावों में बुनियादी सुख-सुविधाओं के साथ संवैधानिक पंचायती कार्य को संपन्न किया जाय तो रोजगार के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर मांग व पूर्ति का सामंजस्य बना रहेगा जिससे कि जीवन यापन में कठिनाई नहीं होगी। किंतु शक्ति, जाति, धर्म, संप्रदाय, राजनीति दल, पदाधिकारी की मानसिकता, भ्रष्टाचार आदि के कारण ना तो कार्यों का पूर्ण संपादन किया जा रहा है और ना ही पारदर्शिता दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं आवंटित राशि भी भ्रष्टाचार के जाल में फंस कर कुछ ही राशि कार्यों पर व्यय किया जा रहा है। जिससे कि संपूर्ण कार्य को क्रियान्वयन करने में वित्त की समस्या बनती जा रही है। वास्तव में आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करना है तो निश्चित रूप से वित्त पर विशेष ध्यान देना होगा तथा जनप्रतिनिधि सेवा भाव से कार्य को करेंगे। नहीं तो राजीव गांधी के किए गए प्रश्न यदि हम ₹1 विकास के लिए दिल्ली से भेजते हैं तो गांव स्तर पर मात्र 16 पैसे प्राप्त होते हैं ऐसे हालात में उन 84 पैसों का क्या होता है और कहां गया? यदि इस प्रश्न का उत्तर नहीं ढूंढा गया तो निश्चित रूप से आवंटित राशि और कार्य क्रियान्वयन में सदैव असंतुलन बना रहेगा।

Authors and Affiliations

विजय कुमार विश्वकर्मा
शोधार्थी, अर्थशास्त्र विभाग, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद, झारखण्ड।, भारत।

आत्मनिर्भर, भारत, पंचायती, राज्य, जनसंख्या, गांव, शक्ति, जाति, धर्म, संप्रदाय, राजनीति दल, पदाधिकारी, मानसिकता, भ्रष्टाचार।

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Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-06-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 235-242
Manuscript Number : SHISRRJ214339
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

विजय कुमार विश्वकर्मा, "आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पंचायती राज्य की भूमिका : एक समीक्षा ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 3, pp.235-242, May-June.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214339

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