खासी लोककथाओं में प्रगतिशीलता के तत्व

Authors(1) :-सेतु कुमार वर्मा

सांस्कृतिक प्रगतिशीलता एक ऐसी अवधारणा है| जो समाज में व्याप्त रूढ़ी को छोड़ सामूहिक हित को ध्यान में रखते हुए अपनाये गए व्यवहारों से प्रचलित होते हैं| दुनिया की हर संस्कृतियों में रूढ़ी और प्रगतिशीलता के तत्त्व होते हैं| वाचिक परंपरा में लोककथाएँ इनकी वाहक होती हैं| खासी समाज मातृवंशीय सामाजिक परंपरा का पालन करने वाला समाज है| खासी परंपरा में वाचिक साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है| इस शोध पत्र में हम खासी लोककथाओं के माध्यम से खासी समाज में प्रगतिशीलता के तत्वों का अध्ययन करेंगे|

Authors and Affiliations

सेतु कुमार वर्मा
पीएचडी, हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय

खासी, लोककथा, प्रगतिशीलता, संस्कृति, पूर्वोत्तर

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-06-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 264-267
Manuscript Number : SHISRRJ214342
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सेतु कुमार वर्मा, "खासी लोककथाओं में प्रगतिशीलता के तत्व ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 3, pp.264-267, May-June.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214342

Article Preview