शब्दशास्त्र महिमा आज के संबंध में

Authors(1) :-डाॅ0 हरिशंकरमणि त्रिपाठी

अर्थविषयक बोध शब्द के बिना सम्भव नहीं है और शब्दों का तात्त्विक बोध व्याकरण के बिना सम्भव नहीं है। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि अर्थप्रवृत्ति का मूलतत्त्व विवक्षा है, न कि किसी वस्तु (अर्थ, पदार्थ) का होना या न होना। तपती जेठ की दुपहरी में यदि कोई कहे’’ आज तो आकाश से अंगारे बरस रहे हैं।’’ तो जलते अंगारे और बारिस इन दोनों पदार्थों के वहाँ न होने पर भी अर्थप्रवृत्ति होती है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 हरिशंकरमणि त्रिपाठी
सहायकप्राध्यापकः व्याकरणविभागः, जे. एन. एम. संस्कृत महाविद्यालयः, चाईबासा, मण्डलम्-पश्चिमी सिंहभूम, झारखण्डराज्यम्, भारत।

अर्थविषयक, शब्दः, व्याकरण, शास्त्रम्, संस्कृत, वाङ्मय, भाषा।

  1. व्याकरण शास्त्र का इतिहास।
  2. वाक्यपदीय ब्रह्मकाण्ड
  3. महाभाष्य पश्पशाह्निक
  4. तैत्तिरीय संहिता
  5. वाल्मीकि रामायण
  6. सिद्धांत कौमुदी (भट्टोजिदीक्षित)
  7. काव्यादर्श (दण्डी)
  8. पाणिनीय शिक्षा-57

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-07-10
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 10-13
Manuscript Number : SHISRRJ21442
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 हरिशंकरमणि त्रिपाठी, "शब्दशास्त्र महिमा आज के संबंध में ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 4, pp.10-13, July-August.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21442

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