Manuscript Number : SHISRRJ214430
छन्दों के प्रयोग की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि
Authors(1) :-डाॅ0 शालिनी साहनी वैदिक सूक्तों के अनुशीलन में देवता , ऋषि एवं छन्द का ज्ञान होना परम आवश्यक है। “छन्दः पादौ तुपेदस्य“ कहकर छन्द की महत्ता सिद्ध की जाती है जैसे चरण विहीन व्यक्ति गतिमान नहीं होता उसी प्रकार छन्द के बिना वेद अथवा कोई भी काव्य ग्रन्थ गतिशील नही होता। देववाणी संस्कृत में षड्वेदांगों का परिशीलन करते हुए जब छन्दों का प्रसंग आता है तब कहा जाता है कि वेद-मन्त्रों के उच्चारणार्थ एवं विशुद्ध पाठार्थ छन्दों का ज्ञान परमावश्यक है। छन्दों का प्रयोग रस, भाव तथा वर्णन आदि के अनुरूप ही करना चाहिये। इनका प्रसंग विशेष में औचित्य के अनुरूप प्रयोग ही श्लाध्य होता है। यथा- अनुष्टुप् का प्रयोग उपदेशात्मक प्रसंगों में, वंशस्थ का नीतिवर्णनों में शार्दूलविक्रीडित का शौर्य-वर्णन या ओजपूर्ण उक्तियों वसन्ततिलका का वीर तथा रौद्र रस के प्रसंगों में एवं मन्दाक्रान्ता का वर्षो तथा विरह के प्रसंगों में प्रयोग समीचीन होता है। पद्मपुराणकार ने मानवीय-मनोविज्ञान एवं उनके भावनाओं के उत्कर्षोपकर्ष के अनुरूप अपनी रचना में छन्दों का बड़ा ही सफल एवं मनोवैज्ञानिक प्रयोग किया है। पद्मपुराण में अध्यायों के प्रारम्भ में भूमिका , अध्यायों की समाप्ति के सूचनार्थ ,प्रश्नात्मकता की स्थिति में सम्वाद-परिवर्तन आदि की स्थिति में छन्द-परिवर्तन की योजना कों ही माध्यम बनाया गया है । कहीं-कहीं आकाशवाणी, भविष्यवाणी, शाप , वरदान एवं लोकोक्तियों आदि के स्थान पर भी छन्द परिवर्तन किया गया है। वस्तुतः अनुष्टुप् ही समस्त पौराणिक साहित्य का मेरूदण्ड है। पद्मपुराण में श्लोकों की कुल संख्या स्वयं पद्मपुराण के अनुसार 55000 है। इनमें अनुष्टुप् छन्द में 47113 श्लोक है। शेष छन्दों में त्रिष्टुप की संख्या लगभग 825 है जबकि अन्य छन्द 514 है। पुराणांे की लोकप्रियता का बहुत कुछ रहस्य छन्दांे के इन समीचीन तथा सुचारू प्रयोग पर भी निर्भर है छन्दों के वैविध्यपूर्ण तथा मनोवैज्ञानिक प्रयोग का सबसे विशिष्ट पक्ष यह है कि इसी ने इन पुराणों को लयात्मक सम्पुट में बांधकर इसकी जीवन रक्षा तथा लोकप्रियता का आधार स्तम्भ तैयार किया है।
डाॅ0 शालिनी साहनी प्रायोगिक, भावानुरूप, पौराणिक, श्लाध्य, स्पन्दन, श्रुतबोध, पिंगलशास़्त्र, छन्दशास्त्र। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021 Article Preview
संस्कृत विभाग, आर0एम0पी0पी0जी0 कालेज, सीतापुर,उत्तर प्रदेश।‚ भारत।
Date of Publication : 2021-08-10
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Page(s) : 61-65
Manuscript Number : SHISRRJ214430
Publisher : Shauryam Research Institute
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