Manuscript Number : SHISRRJ214440
महात्मा गाँधी एवं गिज्जुभाई के शैक्षिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन
Authors(2) :-विनोद कुमार, डाॅ0 विजय बहादुर सिंह
सारांश- शिक्षा व्यक्ति और समाज के विकास की आधारशिला है दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। विकास की यह प्रक्रिया अनादि काल से होते हुए भी देश, काल, समय वातावरण और परिस्थिति के प्रभाव से निरन्तर एवं लगातार बदलती रहती है। शिक्षा के द्वारा परिवर्तन एवं बदलाव का दृष्टिकोण कभी भी क्षैतिज ना हो क शीर्षात्मक एवं लम्बवत की ओर हुआ। इसलिए प्रायः सभी शैक्षिक विचारकों ने शिक्षा को विकास की परिणति कहा है। महात्मा गाँधी एवं गिज्जुभाई बधेका के शैक्षिक विचारों एवं कृत्यों के समालोचनात्मक अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि गिज्जुभाई की शिक्षा सम्बन्धी अवधारणा सर्वागीण विकास से सम्बन्धित है सर्वथा अनुकूल है। क्योंकि शिक्षा बालक के लिये होती है ना कि बालक शिक्षा के लिए होता है। बालक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहले शारीरिक मानकिस तथा बौद्धिक दृष्टि से तैयार होना पड़ेगा क्योंकि जब तक वह तीनों दृष्टियों से तत्पर एवं तैयार नहीं होगा तब तक वह उस शिक्षा को ग्रहण नहीं कर सकता। जबकि शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षार्थी केन्द्र में होना चाहिए।
विनोद कुमार महात्मा गाँधी, गिज्जुभाई बधेका, शिक्षा, विचार, उद्देश्य, तुलना।
Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
शोधकत्र्ता, एम0ए0 शिक्षाशास्त्र हण्डिया पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज हण्डिया, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
डाॅ0 विजय बहादुर सिंह
शोध-निर्देशक, एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र विभाग, हण्डिया पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज हण्डिया, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
Date of Publication : 2020-07-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 117-121
Manuscript Number : SHISRRJ214440
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214440