Manuscript Number : SHISRRJ214782
सर्वांगीण विकास में योग की भूमिका
Authors(1) :-डाॅ सुभाषचन्द्र मीणा सर्वागीणं व्यक्तित्व विकास हेतु योगाभ्यास एक आवश्यक अंग है। आर्यसमाज का नियम है कि समाज का उपकार करना इस समाज का प्रमुख उद्येश्य है ।26 शारीरिक व्यक्तित्व का विकास बिना शारीरिक या आत्मिक विकास के सम्भव नही है। योग द्वारा व्यक्तिगत जीवन की उन्नति को समाज के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है अर्थात् व्यक्ति में जितने अच्छे गुण होंगे समाज उतना ही उत्कृष्ट होता जाएगा। आज के युग में जहाँ प्रत्येक व्यक्ति आगे निकलने की होड़ में दौड़ता है वहाँ समाज में घृणा/द्वेष का भाव उतना ही ज्यादा होता है । इन सभी द्वेष भावनाओं से छुटकारा योग ही दिलवा सकता है।
डाॅ सुभाषचन्द्र मीणा सर्वागीण, व्यक्तित्व, विकास, योग, समाज, शारीरिक, आत्मिक, पतंजली। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
सहायकाचार्य (व्याकरण विभाग), केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, मुम्बई।, भारत।
Date of Publication : 2021-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 165-170
Manuscript Number : SHISRRJ214782
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ214782