प्राचीन भारत में स्त्रियों की स्थिति का विश्लेष्ण :- ऋग्वैदिक काल से गुप्त काल तक

Authors(1) :-राहुल कुमार

जब से इस सृष्टि पर मानव सभ्यता का आरम्भ हुआ तब से ही स्त्रियों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भुमिका है | सिन्धु सभ्यता के अवशेषों से हमें नृत्य करती स्त्री की मूर्ति प्राप्त हुई | इस मूर्ति को देख कर यह प्रतीत होता है कि उस समय से ही स्त्रियों को समाज ने नाच गान की अनुमति दे रखी थी | प्राचीन भारतीय समाज में स्त्रियों को पुरूषों के बराबर सम्मान दिया गया | प्राचीन भारतीय इतिहास में स्त्रियों को पुरूषों के समान समाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिला | वैदिक काल के समाज में स्त्री तथा पुरुष को एक समान माना क्योंकि दोनों ही एक दुसरे की पारिवारिक और सामाजिक जरूरतों को पुरा करते थे | ऋग्वैदिक काल में पुत्री को दुहित्ति नाम से सम्बोधित किया जाता था क्योंकि पुत्री गाय का दुध निकलने का कार्य करती थी , इस साक्ष्य से पता चलता है कि वैदिक समाज में पुत्री को विशेष स्थान दिया गया |1 जैसे जैसे समय का पहिया घुमता गया हमें उतरवैदिक समाज में ऐसी स्त्रियों को वर्णन मिला जो जीवन भर अविवाहित रहीं तथा उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में युद्धो, शास्त्रार्थो में भाग लिया | ऐसी ही एक स्त्री थी जिसका नाम गार्गी था जिसने विदेह के राजा जनक के विशाल यज्ञ में याज्ञवल्क्य को अपने शास्तार्थ से परेशान कर दिया | 2 जैन तथा बौद्ध काल में स्त्रियों की स्थिति काफी हद तक अच्छी रही, स्त्रियों को संघों में शामिल किया गया | प्राचीन भारतीय इतिहास में स्त्रियों ने एक लडकी के रूप में एक बहु के रूप में एक माँ के रूप में नारी शक्ति के रूप का परिचय दिया है |

Authors and Affiliations

राहुल कुमार
विभाग इतिहास, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ,अमृतसर, भारत।

स्त्री , दुहित्ति , मनुस्मृति , नियोग प्रथा ,द्रौपदी , आम्रपाली , कौटिल्य , सती प्रथा |

  1. डी. एन. झा , प्राचीन भारत एक रूपरेखा , मनोहर पब्लिशर्स एंड डिसिट्रब्यूटसर्स, ISBN 81-7304-216-0, प्रकाशन -2016, पृष्ठ न०
  2. उपिन्दर सिंह , प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास , ISBN 978-81-317-7474-8 प्रथम मुद्रण 2017, पृष्ठ न०191.
  3. मनुस्मृति 3.56
  4. के.सी. श्रीवास्तव , प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति , प्रथम मुद्रण 1991, पृष्ठ न०88
  5. रामशरण शर्मा , प्रारंभिक भारत का परिचय , ISBN 978-250-2651-8, प्रथम मुद्रण 2004, पृष्ठ न० 115
  6. डॉ० जयशंकर मिश्र , प्राचीन भारत का समाजिक इतिहास , ISBN 978-93-83021-29-1 , पृष्ठ न०363
  7. तैतिरीय संहिता 2.5.1
  8. डॉ० जयशंकर मिश्र , प्राचीन भारत का समाजिक इतिहास , पृष्ठ न० 703.
  9. ए. एल. बाशम , अद्भुत भारत ISBN 978-81-930093-4-5 , पृष्ठ न०126.
  10. आर्य कॉम्पिटिशन टाइम्स भारतीय इतिहास , संकलन एवं सम्पादन -डॉ० प्रेम प्रकाश ओला , निर्मल कुमार आर्य तथा बी.एल. बजिया , पृष्ठ न०119.
  11. डॉ०अल्तेकर , पोजीशन ऑफ़ वीमेन इन हिन्दू सिविलाइज़ेशन , पृष्ट न० 187.
  12. डॉ० अन्विता , गुप्त काल में नारियों की स्थिति , पृष्ठ न० 46.
  13. आर्य कॉम्पिटिशन टाइम्स भारतीय इतिहास , संकलन एवं सम्पादन -डॉ० प्रेम प्रकाश ओला, निर्मल कुमार आर्य तथा बी.एल . बजिया , पृष्ठ न०161.
  14. याज्ञवल्क्य स्मृति 1/73.

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022
Date of Publication : 2022-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-04
Manuscript Number : SHISRRJ22124
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

राहुल कुमार, "प्राचीन भारत में स्त्रियों की स्थिति का विश्लेष्ण :- ऋग्वैदिक काल से गुप्त काल तक ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 2, pp.01-04, March-April.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22124

Article Preview