Manuscript Number : SHISRRJ22513
वैदिक साहित्य में मूल्य विवेचन की अवधारणा की प्रांसगिकता (आज के संदर्भ में)
Authors(1) :-डॉ. रमेश चन्द्र टांक वैदिक साहित्य संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है यह अत्यन्त प्राचीन है वैदिक ज्ञान को अनके ऋषियों ने संजोया है प्रत्येक वेद में समस्त वैदिक वाङ्ग्मय में जीवन के नैतिक मूल्यों की व्याख्या की गई है। वेदों में वसुधैवकुटुम्बकम् की भावना का वर्णन किया गया है। वेदों में प्राचीन कालीन संस्कृति तथा धार्मिक, सामाजिक ऐतिहासिक, राजनैतिक एवं आर्थिक जीवन से सम्बन्धित मूल्यों का समावेश है यह सभी जीवन मुल्य मनुष्य के कल्याणकारी मार्ग को प्रशस्त करते है।
डॉ. रमेश चन्द्र टांक वैदिक, साहित्य, संस्कृत, धार्मिक, सामाजिक ऐतिहासिक, राजनैतिक, आर्थिक, मूल्य| 1. मनुस्मृति - 2.107 2. ऋग्वेद - 7.49.3 3. अहिंसा सत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहाः यमा। योग दर्शन30 4. शौच सन्तोषतपः स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः। योग दर्शन32 5. धृति, क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः । धीविधा सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम्।। मनुस्मृति 6.92 6. सप्त मर्यादाः काव्यस्ततक्षुस्तासामेकामिदभ्यहुरो गात्। आयोह रकम्भ उपमरय नीऽ पथां विसर्गे धरूणेषु तस्थौ ।। ऋग्वेद 10.5.6 7. अथर्ववेद - 3.30.2 8.वही, 3.30.3 9. ऋग्वेद -10.85.6 Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
शोधार्थी, सीनियर रिसर्च फेलो , ICSSR संस्थान, भारत
Date of Publication : 2022-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 22-31
Manuscript Number : SHISRRJ22513
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22513