वर्तमान व्यवहारिक जीवन में यम की उपादेयता

Authors(1) :-दीपा आर्या

सम्पूर्ण विश्व को योगविद्या भारतीय ऋषि परम्परा की अनुपम भेंट हैं। जहाँ प्राचीन काल की ऋषि परम्परा में योग चेतना की जागृति तथा मोक्षमार्ग के साधना रूप में भूमिका निभाता था। वही योग साधना के विभिन्न आयाम (हठयोग,अष्टांगयोग,मन्त्र्ायोग,भक्तियोग,) इत्यादि वर्तमान समय में व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक, भावनात्मक, स्वास्थ्य पर नैतिक जीवन में अपनी सकारात्मक भूमि प्रदान कर सकते हैं यदि वर्तमान समय में व्यक्ति विभिन्न आयामो में से केवल अष्टांग योग के अन्र्तगत यम का भी पालन कर लें तो व्यक्ति का जीवन सरल,सुखी व चितामुक्त हो जायेगा परन्तु आज का व्यक्ति तनाव युक्त व अभावमय जीवन यापन कर रहे हैं जिसका मुख्य कारण व्यक्ति के जीवन में योग न होने से उसकी जीवन शैली विकृत हो चुकी हैं। जिससे वह शारीरिक एवं मानसिक, बौ़ि़़द्धक सामाजिक, भावनात्मक, स्वास्थ्य का भौतिक जीवन में अपनी सकारात्मक भूमि प्रदान नहीं कर रहे हैं। और व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हैं। अगर व्यक्ति अपनी जीवन शैली में यम का अनुसरण करें, तो वह अपने जीवन को सुखी बनाकर उस परमानंद से जुड़ सकता हैं जो सभी दुःखों की निवृŸिा करता हैें,पातंजल योग सूत्र्ा में बताये गये यम हमें नैतिकता का मूल्य प्रदान करते है, कि हमारे लिए क्या आवश्यक है क्या अनावश्यक है व जीवन को सरल कैसे बनाते हैं यदि अपने जीवन में यम का अनुसरण किया जाये तो व्यक्ति कर्म को अर्जित कर पाएगा। और अपने अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। और छोटी छोटी बातो से विचलित नहीे होएगा। वह अपने साथ समाज के विकास में भी सहयोग कर पायेगा। उसके अष्टांग योग के यम का अनुसरण करना आवश्यक है जो इसको एक व्यवहारिक जीवन यापन करने व एक सभ्य समाज का नागरिक बनाने में मदद करते हैं।

Authors and Affiliations

दीपा आर्या
शोधार्थी, निर्वाण विश्वविद्यालय, जयपुर

प्राचीन, वर्तमान ,अष्टांग, व्यक्ति,यम।

  1. पातंजल योग दर्शन( 2/29) -गीता प्रेस गौरखपुर
  2. त्र्ािशिखि ब्राह्मण उपनिषद -(28)पंÛ श्रीराम शर्मा आचार्य (उपनिषद साधना खण्ड)
  3. सिद्ध सिद्धान्त पद्धति 2/32-परमहंसस्वामी अनन्त भारती (चैखम्बा ओरियन्टालिया )
  4. शांडिल्य उपनिषद (अध्याय 1)-स्वामी महेशानंद गिरी जी (श्री दक्षिणामूर्ति मठ प्रकाशन
  5. वशिष्ट संहिता (1/38)-
  6. पातंजल योग दर्शन( 2/30) -गीता प्रेस गौरखपुर
  7. पातंजल योग दर्शन( 2/31) -गीता प्रेस गौरखपुर
  8. व्यास भाष्य 2/30-सतीश आर्य (वेद योग चैरिटेबल ट्रस्ट)
  9. पातंजल योग दर्शन( 2/35) -गीता प्रेस गौरखपुर
  10. मनुस्मृति( 4/138)-डाॅÛ भेषराज शर्मा (हंस प्रकाशन जयपुर )
  11. व्यास भाष्य( 2/30)-सतीश आर्य (वेद योग चैरिटेबल ट्रस्ट)
  12. पातंजल योग दर्शन( 2/37) -गीता प्रेस गौरखपुर
  13. व्यास भाष्य( 2/30)-सतीश आर्य (वेद योग चैरिटेबल ट्रस्ट)
  14. दक्ष स्मृति (7/31-32)-डाॅÛ ईश्वर लाल प्रजापति( राही प्रकाशन)
  15. पातंजल योग दर्शन( 2/38) -गीता प्रेस गौरखपुर
  16. व्यास भाष्य( 2/30)-सतीश आर्य (वेद योग चैरिटेबल ट्रस्ट)
  17. पातंजल योग दर्शन( 2/39) -गीता प्रेस गौरखपुर
  18. योग दर्शन (2/28) नन्द लाल दशोला

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 45-50
Manuscript Number : SHISRRJ22517
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

दीपा आर्या, "वर्तमान व्यवहारिक जीवन में यम की उपादेयता", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 1, pp.45-50, January-February.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22517

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