Manuscript Number : SHISRRJ22522
महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा में दहेज कुप्रथा की भूमिका
Authors(1) :-डाॅ. रचना श्रीवास्तव सारांश-वर्तमान समय पर दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों के देखने एवं विभिन्न समाचार पत्रों के अध्ययन पर ऐसा महसूस होता है कि अपना देश महिलाओं के विरूद्ध घटित होने वाले अपराधों का प्रशिक्षण केन्द्र बना हुआ है। ऐसा कोई भी दिन नहीं होता जबकि महिलाओं के विरुद्ध घटित अपराधों की एक लंबी श्रृंखला देखने को न प्राप्त हो। नववधू की हत्या एवं आत्महत्या की घटनाओं से समाचार पत्र रक्तरंजित रहते हैं। समाज में अचानक महिला विरोधी अपराधों की ऐसी बाढ़ आ गई है, जो विद्वानों की समझ शक्ति से परे है। इन अपराधों से लोगों की मानसिकता उजागर (स्पष्ट) हो रही है। लोगों का समाज से कोई लेना-देना नहीं है। पति-पत्नी के संबंध जिस तरह से होने चाहिए वह बिल्कुल नहीं हैं, जो परिस्थितियों को गंभीर बनाकर महिला अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं। समाज के लोगों का पतन हो चुका है। समाज के लोगों में धन लोलुपता का बीज जो कभी अंकुरित हुआ था, वर्तमान समय में विशाल वृक्ष का स्वरूप धारण कर लिया है। लोगों की मानसिकता मात्र धन प्राप्ति की हो चुकी है। महसूस हो रहा है कि समाज के इन विकृत छवि के लोगों के मन में पालन पोषण के समय से ही महिलाओं के प्रति नफरत के विषैले बीजों का रोपण कर दिया गया था, जो वर्तमान समय पर घरेलू हिंसा से प्रारंभ होकर दहेज के लिए हत्या जैसे विभिन्न घिनौने अपराधों के विकराल स्वरूपों तक लोगों के घर-घर तक फैली हुई है। लोगों की धनलोलुपता का आकर्षण ही लोगों को दहेज की ओर आकर्षित करती है, जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण समाज दहेज कुप्रथा व महिला अपराधों की ओर अग्रसर होता जा रहा है। अपराध सार्वभौम होते हैं। ये होते रहे हैं, हो रहे हैं तथा सदैव होते रहेंगे। मानवीय सामाजिक जीवन व्यतीत करने के कर (टैक्स) के रूप में अपराधों को सहन करना पड़ता है। परन्तु पिछले कुछ दशकों में नारी के प्रति अपराध एवं हिंसात्मक अपराध की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। यह समाज वैज्ञानिकों, नीति-निर्धारकों, समाज सुधारकों व अन्य सभी के लिए एक गहन चिन्ता का विषय बना हुआ है। मानवीय इतिहास में होने वाली ऐसी घटनाओं की वृद्धि वस्तुतः चिन्ता का एक विषय है।
डाॅ. रचना श्रीवास्तव नारी, घरेलू, हिंसा, दहेज, कुप्रथा,कानून, सामाजिक, घटना, अपराध। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
प्राध्यापक समाजशास्त्र, शास. कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय,रीवा,मध्य प्रदेश।
Date of Publication : 2022-01-30
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Page(s) : 67-72
Manuscript Number : SHISRRJ22522
Publisher : Shauryam Research Institute
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