Manuscript Number : SHISRRJ225467
कामकाजी स्त्री आ दांपत्य जीवन
Authors(1) :-श्रवण कुमार दांपत्य जीवन पारिवारिक जीवनक मूल आधार अछि। दांपत्ये ओ मूल बिंदु अछि जतय सब संबंधक रेखा आबि कऽ कतहु ने कतहु मिलैत अछि। भारतीय समाजमे दांपत्यक आधारशिला प्रेम अछि। दांपत्यक विशिष्टता पति-पत्नीक परस्पर प्रेम, समर्पण, त्याग आ उदारतामे रहैत अछि। विवाह बंधनक परिकल्पना जन्म-जन्मांतरक अटूट संबंधमे कयल जाइत अछि। विवाहित जीवनक अर्थ अछि जे पति-पत्नी एक दोसरकेँ समझथि, बुझथि, परस्पर प्रेम करथि। दांपत्य जीवनक अपन सुख अछि जे असीम अछि। शारीरिक, मानसिक तृप्ति, परस्पर सौहार्द, परस्पर सम्मानक भावना, विश्वास, सहानुभूति आ समानधर्मिता ई सब दांपत्य जीवनक महत्वपूर्ण तत्व अछि। मधुर दांपत्य जीवनक लेल पति-पत्नी दुनूकेँ आपसमे समझबाक, बुझबाक आवश्यकता होइत अछि। एहि कारणसँ गैर कामकाजी स्त्री आ अशिक्षित स्त्री सेहो मधुर दांपत्य जीवन भोगैत अछि। एकर विपरीत आत्मनिर्भर, सुशिक्षित स्त्री बेसी प्रयास कयलोपर मधुर दांपत्य जीवन बिताबऽमे विफल भऽ जाइत छथि। खाली शिक्षा आ धनेसँ सुखी दांपत्य जीवन नहि बितायल जा सकैत अछि। पति-पत्नीक नित्य कलहसँ कतेको समस्याक जन्म होइत अछि। एकरासँ संपूर्ण जीवनक नैया डगमगाय लगैत अछि। समयक साथ परिवर्तित समाजमे विवाहक मंगलमय स्वरूप कतेक अंशमे बदलि चुकल अछि। सिंदूर जे सौभाग्यक आ अक्षय पतिव्रताक चिन्ह बुझल जाइत अछि, आजुक समयमे अपन अर्थक अवस्थासँ क्षीण भऽ रहल अछि।
श्रवण कुमार Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022 Article Preview
ओल्ड पी.जी. कैम्पस, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर,भारत।
Date of Publication : 2022-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 128-133
Manuscript Number : SHISRRJ225467
Publisher : Shauryam Research Institute
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