हर्षचरितम् में दर्शनशास्त्रीय विवेचन

Authors(1) :-रेखा जैसवार

इसमें बाणभट्टकृत हर्षचरित में उल्लिखित विभिन्न दार्शनिक तत्त्वों को उपस्थित किया गया है। बाण के हर्षचरित में षड्-दर्शन के प्रसंग उपलब्ध हैं जिसमें वस्तुतः सभी भारतीय विद्याओं के गम्भीर विवेचन में दार्शनिक विचारों का पुट मिलता है। इसके अध्ययन से ज्ञात होता है कि दर्शन जीवन दृष्टि को देखने की विधा है। धर्म जीव की आचार्य पद्धति है तो दर्शन मनुष्य की बौद्धिक परिपुष्टि है। इस प्रकार हमें व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

Authors and Affiliations

रेखा जैसवार
शोधच्छात्रा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, भारत।

लोकायत, आर्हत्, बौद्ध, कोश, त्रिसरण, प्रमाण, वैशेषिक, द्रव्य।

  1. हर्षचरित- 8/738
  2. सर्वदर्शनसंग्रह पृ0-2
  3. सर्वदर्शनसंग्रह-पृ0 11
  4. हर्षचरित- 2/156
  5. सर्वदर्शनसंग्रह
  6. हर्षचरित-8/738
  7. त्रिसरणपरैः परमोपासकैः...........। वही
  8. हर्षचरित-3/228
  9. प्रमाकरणं प्रमाणम्। तर्कभाषा पृ013
  10. यथार्थानुभवः प्रमा। तर्कभाषा पृ014
  11. हर्षचरित-4/ 406
  12. सांख्यकारिका-13
  13. पातऋजल योगदर्शन 2/29
  14. हर्षचरित-8/739
  15. हर्षचरित-2/207
  16. निष्कारणस्त्रवोपकार इत्यनुवादः। हर्षचरित 3/322
  17. संसारासारत्वकथनकुशला ब्रह्मवादिनः। हर्षचरित-5/530

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 5 | September-October 2022
Date of Publication : 2022-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 86-89
Manuscript Number : SHISRRJ225518
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

रेखा जैसवार , "हर्षचरितम् में दर्शनशास्त्रीय विवेचन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 5, pp.86-89, September-October.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225518

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