ऋग्वेदीय पृथ्वीस्थानीय देवताओं में नदियों का विवेचन

Authors(1) :-सुरेखा जैसवार

इसमें ऋग्वेद में वर्णित पृथ्वीस्थानीय देवता के रूप में नदियों का विवेचन उपस्थित है इसमें आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों प्रकार की कामनाओं की पूर्ति में उनका महत्व प्रस्तुत है। ऋग्वेद के अनेक मंत्रों में उनकी स्तुतियाँ और आवाह्न कर दोषों एवं पापों से मुक्ति का उल्लेख मिलता है। अतः ऋग्वेद में भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक दृष्टि से इनका महत्व उपस्थित है।

Authors and Affiliations

सुरेखा जैसवार
शोधच्छात्रा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत।

सिन्धु, शुतुद्रि, गंगा, सरस्वती, गोमती, पितस्ता, परुषणी, कुलिशी।

  1. आपो वै सर्वा देवताः (6.8.3)
  2. अथर्व0 1.33.1
  3. ऋग्वेद (95.13) 14, 15
  4. ऋग्वेद 04.4
  5. ऋग्वेद 52.6
  6. ऋग्वेद 20.25
  7. भागवत 14.18
  8. ऋग्वेद 23.4
  9. ऋग्वेद 53.11, 10.75.5
  10. ऋग्वेद 53.़9, 10.75.6
  11. ऋग्वेद 53.9, 14.75.6
  12. ऋ0 5/52/9, 7/88/8
  13. ऋ0 10/75/5
  14. ऋ0 1/126/1
  15. वैदिक स्थलों के प्रवाहशील प्राकृतिक रूप पेज-125
  16. ऋ0 2/41/16

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 5 | September-October 2022
Date of Publication : 2022-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 90-93
Manuscript Number : SHISRRJ225519
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सुरेखा जैसवार, "ऋग्वेदीय पृथ्वीस्थानीय देवताओं में नदियों का विवेचन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 5, pp.90-93, September-October.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225519

Article Preview