जातीय दंश में बचपन - ओमप्रकाश वाल्मीकि

Authors(1) :-डॉ. आरती सिंह

भारतीय इतिहास के सामाजिक जीवन में वर्ण व्यवस्था का विभाजन करते हुए आर्यों ने कभी शायद यह सोचा भी न होगा कि जिन आर्यों और अनार्यों का विभाजन वे अपनी सुविधा और रंगभेद के आधार पर कर रहे हैं, यह व्यवस्था एक दिन इतने कठोर हो जाएंगे कि इन्सान का इन्सान के साथ रहना भी दूभर हो जाएगा। आर्यों ने अपने इस विभाजन के अंतर्गत यह व्यवस्था रखी थी कि कोई भी व्यक्ति कार्य-पद्धति, रुचि और मनःस्थिति के अनुसार वर्ण परिवर्तन कर सकता था। लेकिन व्यक्ति की एक खास प्रवृत्ति होती है कि वह व्यक्तियों पर शासन करे, उन्हें अपने आधीन रखे और स्वयं सर्वे-सर्वा बन कर रहे। शायद यही कारण रहा होगा कि जिस व्यवस्था को उन्होंने परिवर्तनशील और मनःस्थिति के अनुरूप सोचा था वह समय के साथ अत्यन्त कठोर सामाजिकता का रूप धारण कर बैठी और कालान्तर में यह विभाजन रंग-भेद तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि एक कठोर अभिशाप बन गया। ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ जातिगत उत्पीडऩ और अतिदलित समाज व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वासों आदि के खिलाफ संघर्ष का आख्यान है । यह सिर्फ आत्मकथा ही नहीं वरन अतीत की मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करती हुई वीभत्स घटनाओं और पीड़ादायी अनुभवों से उपजी कराह है, वेदना है, जहां लेखक ही नहीं बल्कि समय-समाज भी उपस्थित है - यातनामय भयावहता के साथ । इस शोध पत्र में जूठन के माध्यम से जातीय दंश को विश्लेषित करने का विनम्र प्रयास किया गया है ।

Authors and Affiliations

डॉ. आरती सिंह
सहायक प्रोफेसर, कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, भारत।

जातीय दंश, जूठन, आत्मकथा, भारतीय समाज, वर्णव्यवस्था

  1. जाति-धर्म के झगडे छोड़ों सही लड़ाई से नाता जोड़ो, भगत सिंह, परिकल्पना प्रकाशन, दिल्ली, 2004
  2. प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, जयशंकर मिश्र, हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, 1992
  3. जूठन, ओमप्रकाश वाल्मीकि, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 2013

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022
Date of Publication : 2022-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 70-74
Manuscript Number : SHISRRJ22569
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. आरती सिंह, "जातीय दंश में बचपन - ओमप्रकाश वाल्मीकि", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 6, pp.70-74, November-December.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22569

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