भारतीय संस्कृति में तप (जैनधर्म के विशेष संदर्भ में)

Authors(2) :-डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, सब्यसाची षड़ंगी

शोधालेख-सार- तप भारतीय आचार की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर करने का एक उपक्रम है। तप चेतना के ऊध्र्वारोहण की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। ‘तप’ शब्द में ज्ञान-विज्ञान का विकास निहित है। भारतीय संस्कृति में ही नहीं, मानवीय संस्कृति में भी जो कुछ भी शाश्वत, उदात्त और महत्त्वपूर्ण है, वह सब तप से ही संभूत हैं। तपस्या से चित्त निर्मल होता है क्योंकि मलिन चित्त में उपदेश के बीज अंकुरित नहीं हो सकते। अध्यात्म विद्या के पुष्प तपोनिष्ठ जीवन में ही खिलते हैं। तप की आभा प्राणीमात्र को जागरण का संदेश देती है। तप ही जीवन का आदर्श और व्यवहार का सौंदर्य प्रस्तुत करता है। मानव-जीवन में उत्तरोत्तर मानवीय गुणों का संवाहक, संरक्षक और संवर्धन तप के द्वारा ही संभव है। प्रस्तुत शोधालेख तीनों परम्पराओं में प्रचलित तपश्चर्या के महत्त्व के साथ ही जैन परम्परा में प्रचलित तप को विशेष रूप से व्याख्यायित करता है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज
सहायक आचार्य, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, जिला-नागौर, राजस्थान, भारत।
सब्यसाची षड़ंगी
सहायक आचार्य, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, जिला-नागौर, राजस्थान, भारत।

तप, बाह्य तप, अभ्यान्तर तप, अनशन, ऊनोदरी, भिक्षावृत्ति, प्रायश्चित, विनय, वैयावृत्ति।

  1. मुंडकोपनिषद 1/1/8
  2. तैत्तिरीय उपनिषद् 32/3/4
  3. मुंडकोपनिषद् 2/1/10
  4. सुत्तनिपात 16/10
  5. दंसण पाहुण, गाथा 30
  6. दशवैकालिक जिनदास चूर्णि पृ 15
  7. निशीथ-भाष्य, पृ 25
  8. तत्त्वार्थराजवार्तिक 9/19
  9. निशीथ चूर्णि, भाग 3, पृ 294
  10. मूलाचार, गाथा 350
  11. उत्तराध्ययन सूत्र, 30/14
  12. उत्तराध्ययन सूत्र,  30/26
  13. मूलाचार, गाथा 352
  14. आचारांग सूत्र, 5/79
  15. ठाणं सूत्र 4/581
  16. उत्तराध्ययन सूत्र,  30/27
  17. मूलाचार, गाथा 356
  18. वसुनंदी, श्लोक 351
  19. उत्तराध्ययन सूत्र,30/8
  20. मूलाचार, गाथा 357
  21. आचारांग सूत्र 3/61
  22. उत्तराध्ययन 30/31
  23. मूलाचार, गाथा 361
  24. तत्त्वार्थराजवार्तिक 1/22 पृ 620
  25. आचारांग सूत्र 1/70
  26. उत्तराध्ययन सूत्र, 30/32
  27. मूलाचार, गाथा 364
  28. सर्वार्थसिद्धि 9/20
  29. धवला टीका, 13/5/426
  30. भगवती आराधना, विजयोदया टीका 300/511/21
  31. आचारांग सूत्र 6/74
  32. आचारांग सूत्र 6/171 180, 181, 182, 183, 184, 188, 189, 190, 200, 201,202
  33. उत्तराध्ययन सूत्र, 30/36
  34. सर्वार्थसिद्धि 9/20
  35. धवला टीका 13/5
  36. मूलाचार, गाथा 391-392
  37. सर्वार्थसिद्धि 9/24
  38. सर्वार्थसिद्धि 9/20
  39. भगवती आराधना, गाथा 99
  40. तत्त्वार्थराजवार्तिक 2/9/25
  41. तत्त्वार्थराजवार्तिक 9/27
  42. ध्यान शतक गाथा 2
  43. आचारांग सूत्र 2/11

 

 

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 1 | January-February 2023
Date of Publication : 2023-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-07
Manuscript Number : SHISRRJ23611
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, सब्यसाची षड़ंगी, "भारतीय संस्कृति में तप (जैनधर्म के विशेष संदर्भ में) ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 1, pp.01-07, January-February.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ23611

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