जाति-सूचक गालियों की अवधारणा

Authors(1) :-गोविन्द वर्मा

भारतीय समाज में शादी आदि अवसरों पर गाली गीत (गारी गीत) गाने का प्रचलन है जब स्त्रियां पुरुषों को लक्ष्य करके गालियां देती हैं तब उनमें उनके माँ, बहन आदि की गालियां ही होती हैं लेकिन जब पुरुष नहीं होते हैं तब स्त्रियां आपस में गारी गीत गाती हैं।

Authors and Affiliations

गोविन्द वर्मा
शोधार्थी ,जामिया मिल्लिया इस्लामिया , नई दिल्ली, भारत।

भारतीय, समाज, शादी, गाली, गीत।

  1. प्रेमचंद, (2003). प्रेमचंद के विचार(भाग-3). नई दिल्ली: प्रकाशन संस्थान. पृष्ठ संख्या-148.
  2. वही. पृष्ठ संख्या- 153.
  3. उपाध्याय, भगवत शरण (2016), खून के छींटे इतिहास के पन्नों पर, पीपुल्स पब्लिशिंग हाऊस (प्रा.) लिमिटेड, नई दिल्ली-110055, ISBN: 81-7007-196-8, पृष्ठ- 61
  4. उपाध्याय, भगवत शरण (2016), खून के छींटे इतिहास के पन्नों पर, पीपुल्स पब्लिशिंग हाऊस (प्रा.) लिमिटेड, नई दिल्ली-110055, ISBN: 81-7007-196-8, पृष्ठ- 17
  5. उपाध्याय, भगवत शरण (2016), खून के छींटे इतिहास के पन्नों पर, पीपुल्स पब्लिशिंग हाऊस (प्रा.) लिमिटेड, नई दिल्ली-110055, ISBN: 81-7007-196-8, पृष्ठ- 79
  6. शर्मा, अंजुम (सं), (2021), निबंध-मान, राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड जी-17, जगतपुरी, नई दिल्ली-110051, ISBN: 978-81-8361-998-1

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023
Date of Publication : 2023-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-04
Manuscript Number : SHISRRJ23641
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

गोविन्द वर्मा , "जाति-सूचक गालियों की अवधारणा", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 4, pp.01-04, July-August.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ23641

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