Manuscript Number : SHISRRJ236622
हिंदी कथा साहित्य एवं सिनेमा में लिव-इन से उत्पन्न संतान
Authors(1) :-नाज़नीन कौसर
बाज़ारवाद ने बदलते परिदृश्य में मूल्यों व संबंधों को सर्वाधिक प्रभावित किया है । ज़िम्मेदारियों से भागती इस पीढ़ी ने स्थापित मूल्यों एवं संबंधों के प्रति जो उदासीनता प्रकट की बाज़ार ने उसे ही भुनाया है । संबंधों में प्रतिबद्धता की कमी एवं महत्वकांक्षा की होड़ के कारण विवाह में देरी बहुत आम बात हो गई । इस रिक्तता को लिव-इन ने भरने की कोशिश की है । विवाह संस्कार के बिना जोड़े साथ रहने लगे और मुख्यधारा के समाज में एक नए तरह का संबंध (सहजीवन/लिव-इन) अस्तित्व में आया । विवाह संस्कार के बिना साथ रह रहे जोड़े आपसी सहमति से इस संबंध में आते हैं और संबंधों की मधुरता ही इसे दीर्घायु बनाती है । इसमें विवाह संस्था जैसी सामाजिक बाध्यता या दबाव भी नहीं है । कोर्ट की वैधानिक मान्यता के बावजूद इसे अभी तक मुख्य धारा की सामाजिक मान्यता नहीं मिली है । इस दिशा में हिंदी कथा साहित्य एवं सिनेमा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की है । हालाँकि जिस गति से लिव-इन रिलेशनशिप दिन-प्रतिदिन युवाओं में ख्याति प्राप्त कर रहा है उसकी तुलना में ये प्रयास बहुत कमज़ोर साबित होते हैं ।
नाज़नीन कौसर
लिव-इन रिलेशन, सिनेमा में लिव-इन, लिव-इन और बच्चे, कथा सहित्य में लिव-इन । Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023 Article Preview
शोधार्थी, जामिया मिलिया इस्लामिया
Date of Publication : 2023-12-21
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 135-140
Manuscript Number : SHISRRJ236622
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236622