भट्टि काव्य या रावण वध में श्रीराम का स्वरूप

Authors(2) :-राजेश कुमार मिश्र, डाॅ0 प्रद्युम सिंह

नाटक में गद्य और पद्य दोनों का आनन्द प्राप्त हो जाता है विश्व के प्रत्येक साहित्य में नाटकों का सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। कतिपय नाटकों में श्री राम के स्वरूप का चित्रण इस रीति से उद्घटित है।

Authors and Affiliations

राजेश कुमार मिश्र
शोध छात्र, हिन्दी विभाग, हण्डिया पी0जी0 काॅलेज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
डाॅ0 प्रद्युम सिंह
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, हण्डिया पी0जी0 काॅलेज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

भट्टिकाव्य, रावण, श्रीराम, साहित्य, रीति, सत्यप्रतिज्ञ।

  1. भट्टिकाव्य, रावणवध, भट्टि सर्ग-2, श्लोक-39
  2. भट्टिकाव्य, भट्टि सर्ग-2, श्लोक-11
  3. भट्टिकाव्य, भट्टि सर्ग-2, श्लोक-13
  4. भट्टिकाव्य, भट्टि सर्ग-2, श्लोक-53
  5. संस्कृत साहित्य की रूपरेखा, स्व0 पं0 चन्द्रशेखर पाण्डेय व शान्ति कुमार नानूराम व्यास, पृ0-72 (1/17)

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-11-21
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 268-271
Manuscript Number : SHISRRJ236641
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

राजेश कुमार मिश्र, डाॅ0 प्रद्युम सिंह, "भट्टि काव्य या रावण वध में श्रीराम का स्वरूप ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.268-271, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236641

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