Manuscript Number : SHISRRJ247118
किरातार्जुनीयम् एवं शिशुपालवधम् महाकाव्य में धर्म और राजनीति
Authors(1) :-मुकेश कुमार दोनों महाकाव्यों में कवियों ने अपनी भावना का प्रतिपादन किया है। जिसमें धर्म और राजनीति की अवधारणा पर अत्यधिक बल दिया जिसमें धर्म मनुष्य की अवधारणा का भी प्रतिरूप माना जाता है। महाकवि भरवि राजनीति के प्रकाण्ड पण्डित माने जाते हैं। धर्म की अवधारणा पर भी अत्यधिक बल दिया है। वही महाकवि माघ भी धर्म और राजनीति के मापदण्डों को पूर्ण रूप से प्रतिपादित किया है। जिससे यह दोनों महाकाव्य राजनीति और धर्म का प्रतिरूप माना जाता है। दोनों महाकवियों ने अपने-अपने महाकाव्यों में धर्म और राजनीति पर विशेष बल दिया है। जिससे यह प्रतिपादित होता है। कि यह दोनों ग्रन्थ महाभारत जैसे महाकाव्य की अवधारणा पर ही निहित है। जिसका अभिप्राय समाज में मानवता के आस्था का प्रतिपादन करना है। जो धर्म और राजनीति की अवधारणा को पहचानता वही सामाजिक आर्थिक मनोभूति को भी जानता है। जिससे यह प्रतीत होता है कि दोनों महाकवि धर्म और राजनीति में अपनी भावना को प्रतिपादित करते हैं।
मुकेश कुमार किरातार्जुनीयम शिशुपालवधम्, महाकाव्य, धर्म, राजनीति, सामाजिक, आर्थिक। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024 Article Preview
शोधच्छात्र, शासकीय एम.एल.बी. उत्कृष्ट, महाविद्यालय ग्वालियर (म.प्र.)
सम्बद्ध जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश।
Date of Publication : 2024-02-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 140-144
Manuscript Number : SHISRRJ247118
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ247118