किशोरावस्था में छात्रों का मादक पदार्थों के व्यसन से ग्रसित होने के कारणों का एक समाज वैज्ञानिक अध्ययन

Authors(1) :-प्रमोद कुमार सिंह

नशे की प्रवृŸिा जानलेवा होती है। इससे गंभीर बीमारियां होती हैं, बावजूद नशाखोरी के आंकड़े घटने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि धूम्रपान या नशाखोरी के लिए जागरूकता अभियान नहीं चलाये जा रहे हैं। टी.वी., रेडियो, समाचार-पत्रों के माध्यम से विद्यार्थियों एवं आम नागरिकों को जागरूक करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी विद्यार्थियों में नशे की प्रवृŸिा बढ़ती जा रही है। यह बहुत ही दुःखद है कि इतनी जागरूकता के बावजूद भी इससे विद्यार्थियों सबक नहीं ले रहे हैं। पिछले दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) द्वारा करवाये जा रहे शोध में यह बात सामने आयी कि तम्बाकू का सेवन लोगों के दिल का सबसे बड़ा दुश्मन है। लगभग 40 प्रतिशत लोगों में हार्ट अटैक का कारण तम्बाकू सेवन बताया जा रहा है। निश्चित रूप से यह स्थिति चिंताजनक है। चिकित्सक कहते हैं कि यदि आज के युवा नहीं संभाले और नशे के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाले दिनों में परिणाम और भी घातक होंगे। विद्यार्थियों में नशे का आकर्षण और उसकी सामाजिक स्वीकार्यता विगत कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। संचार माध्यमों और ‘सेलीब्रिटी’ संस्कृति से मिल रहे बढ़ावे को सामाजिक रूप से खारिज करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। छात्र अधिकांशतः विद्यालयों में या बाहर अपने साथियों से नशाखोरी सीखते हैं। इसके लिए जरूरी है कि विद्यालयों में नशाखोरी के दुष्प्रभावों के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जायें। नशाखोरी विषय को शोध एवं पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाये जाने की जरूरत है। शराब, सिगरेट एवं खैनी का सेवन थोड़ी मात्रा में भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन जब यह लत बन जाए तो स्थिति बेकाबू होने लगती है। तम्बाकू से न सिर्फ दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है बल्कि कैंसर व अन्य बीमारियों का भी यह बड़ा कारण है। दिखावा व बाहरी चमक में फंसकर विद्यार्थी नशे के आदी होते जा रहे हैं। सरकारी व प्रशासनिक लापरवाही की वजह से भी यह समस्या बढ़ रही है। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध और नाबालिकों को तम्बाकू उत्पाद बेचने पर रोक जैसे कानून का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। इसी तरह विद्यार्थियों के क्रियाकलापों पर नजर रखने के साथ ही उन्हें नशे से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। सभी मिलकर काम करेंगे तभी नशा मुक्त समाज का निर्माण संभव हो सकेगा।

Authors and Affiliations

प्रमोद कुमार सिंह
शोधार्थी, (एम. फिल. समाजशा), ठा. रणमत सिंह शासकीय महाविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश

धूम्रपान, कैंसर, अनुसंधान, व्यसन एवं जागरूकता।

  1. गेरेट, ई. एच. ;1957द्ध: शिक्षा मनोविज्ञान के प्रयोग दिल्ली, टूडे आॅफसेट पिं्रटर्स
  2. गेरेट, ई. एच. ;1980.81द्ध: शिक्षा मनोविज्ञान में साांखिं्यकी
  3. नटबीम, डी. और एरो, एल. एफ. ;1991द्ध: स्मोकिगंस और पीयूपिल ऐटीटयूट टूवर्ड स्कूलः द इम्पलीकेशन फोर हेल्थ ऐजुकेशन विद यंग पीपल। रिजल्टस फ्ररोम द डब्ल्यू. एच. ओ. स्टडी बिहेवीयर अमंग स्कूल चिल्ड्रन। हेल्थ एजुकेशन रिसर्च थ्यिरी और प्रेक्टीस, 6ए338्
  4. हाकिन्स, जे.डी., कैटलन्स, आर.एच. और मिलर, जे. वाई. ;1992द्ध। रिस्क और प्रोटेक्टिव फेक्टर फोर एल्कोहल और अंदर ड्रग प्रोब्लम इन एडोलोसेन्स और अरली एडल्टहूड: इम्पलीकेशन्स फोर सबस्टेन्स एबूज प्रेवेन्शन। साइकोलोजिकल बुलेटीन, 112ए 64दृ105्
  5. मंगल, एस.के. ;2008द्ध: शिक्षा मनोविज्ञान: नई दिल्ली, पी.एच.एल. लरंनिंग प्राइवेट लिमिटेड।
  6. सरीन और सरीन ;2008द्ध: शैक्षिक अनुसंधान विधियां: आगरा, विनोद पुस्तक मन्दिर
  7. मंगल, एस.के. एवं मंगल, उमा, ;2009द्ध: शिक्षा तकनीकी: नई दिल्ली, पी.एच.एल. लरंनिम प्राइवेट लिमिटेड

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024
Date of Publication : 2024-05-12
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-08
Manuscript Number : SHISRRJ2472123
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

प्रमोद कुमार सिंह, "किशोरावस्था में छात्रों का मादक पदार्थों के व्यसन से ग्रसित होने के कारणों का एक समाज वैज्ञानिक अध्ययन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 7, Issue 3, pp.01-08, May-June.2024
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2472123

Article Preview