हिंदी कथा-साहित्य का फिल्मांतरण: प्रेम-विषयक संदर्भ

Authors(1) :-सुंदरम आनन्द

प्रेम और रोमांस हिंदी सिनेमा में एक स्थिरांक की तरह अवश्य मौजूद रहा है, पर उसकी धारणा समय और समाज में हो रहे परिवर्तनों के साथ बदलती भी रही है। नेहरूवादी दौर में प्रेम विषयक फिल्मों में जहाँ एक सामाजिक संदेश होता था, वहीं 1970 के दशक तक आते-आते उसमें ग्लैमर के तत्वों का समावेश बढ़ता गया। उदारीकरण के दौर में यह बदलाव विषयवस्तु और प्रस्तुतिकरण के स्तर पर उन्मुक्त और बहुआयामी होता गया। कथा-साहित्य पर आधारित प्रेम विषयक फिल्मों में भी इन परिवर्तनों को बदलते सामाजिक नैतिक मानदंडों के साथ बदलते हुए देखा जा सकता है।

Authors and Affiliations

सुंदरम आनन्द
शोधार्थी, हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली।

हिंदी सिनेमा, फिल्मांतरण, कथा-साहित्य, प्रेम और रोमांस, बॉलीवुड, उदारीकरण।

  1. अंडरस्टैंडिंग बॉलीवुड : द ग्रामर ऑफ़ हिंदी सिनेमा, उल्का अंजरिया, पृष्ठ संख्या - 38
  2. बॉलीवुड्स इंडिया : हिंदी सिनेमा एज अ गाइड टू कंटेम्पररी इंडिया, रशेल ड्वायर, पृष्ठ सं.192
  3. 23 हिंदी कहानियां, सं. – जैनेन्द्र, पृष्ठ संख्या – 28
  4. बॉलीवुड का किस्सा ए हिंदी, विजय रंचन, पृष्ठ संख्या – 111
  5. 23 हिंदी कहानियां, सं. – जैनेन्द्र, पृष्ठ संख्या – 28
  6. प्रतिनिधि कहानियां, रेणु, पृष्ठ संख्या- 143 
  7. प्रतिनिधि कहानियां, रेणु, पृष्ठ संख्या- 43 
  8. प्रतिनिधि कहानियां, रेणु, पृष्ठ संख्या- 40
  9. प्रतिनिधि कहानियां, रेणु, पृष्ठ संख्या- 42 
  10. प्रतिनिधि कहानियां, रेणु, पृष्ठ संख्या- 42

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 2 | March-April 2024
Date of Publication : 2024-03-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 49-55
Manuscript Number : SHISRRJ2472127
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

सुंदरम आनन्द, "हिंदी कथा-साहित्य का फिल्मांतरण: प्रेम-विषयक संदर्भ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 7, Issue 2, pp.49-55, March-April.2024
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2472127

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